पटना: विधानसभा की सदस्यता खत्म होने के बाद जदयू के बागी ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को पत्र लिख कर पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पार्टी से निष्कासित करने मांग की है.
ज्ञानू ने कहा कि उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द की गयी है, लेकिन वह अब भी जदयू की अनुशासन समिति के अध्यक्ष हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार पार्टी को रसातल में ले गये हैं. लोकसभा चुनाव में पार्टी 20 से सीधे दो सीटों पर आ गयी है. इसके लिए नीतीश कुमार ही पूरी तरह जिम्मेवार हैं. इसलिए अविलंब उन्हें पार्टी से निष्कासित किया जाये. ज्ञानू ने आगामी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व में ही लड़ने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि जीतन राम मांझी डेमोक्रेटिक मुख्यमंत्री हैं. वे अच्छी तरह से सरकार चला रहे हैं और आगे भी चलायेंगे. ज्ञानू ने पत्र में लिखा है कि लोकसभा चुनाव में 30 सीटें आने का अनुमान था, लेकिन स्थानीय परिस्थिति के कारण हार हुई.
नीतीश कुमार अहंकार में चूर थे. पार्टी के किसी सांसद, विधायक व समर्पित कार्यकर्ता तक से नहीं मिलते थे और न ही किसी से राय नहीं लेते थे. कोई विधायक सांसद सही बात बोलने का प्रयास करता, तो उसे बहुत कुछ ङोलना पड़ता था. शिवानंद तिवारी को राजगीर में सही बात बोलने के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. ज्ञानू ने कहा है कि अगर बिहार में एनडीए रहा होता, तो जदयू को 25 सीटें मिलतीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल में कम-से-कम पांच मंत्री होते और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल गया होता. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने सुशासन बाबू से कुशासन बाबू की पदवी धारण कर ली है.