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विदेश जायेगा बिहार का दूध

बगहाप (चंपारण) : चंपारण में उत्पादित दूध में अधिक पौष्टिकता है. इस वजह से इसकी सर्वाधिक मांग विदेशों में है. अगले एक वर्ष में चंपारण के गांव में पाली जा रही देशी नस्ल की गायों के दूध की मार्केटिंग विदेशों में होने लगेगी. इसकी शुरुआत कर्नाटक की एक कंपनी ने की है. बगहा एक प्रखंड […]

बगहाप (चंपारण) : चंपारण में उत्पादित दूध में अधिक पौष्टिकता है. इस वजह से इसकी सर्वाधिक मांग विदेशों में है. अगले एक वर्ष में चंपारण के गांव में पाली जा रही देशी नस्ल की गायों के दूध की मार्केटिंग विदेशों में होने लगेगी. इसकी शुरुआत कर्नाटक की एक कंपनी ने की है.

बगहा एक प्रखंड के लगुनाहा पतिलार गांव में कृषि और डेयरी उत्पाद इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने रविवार को मिल्क चिलिंग प्लांट का उद्घाटन किया. दियारा के इलाके में श्वेत क्रांति की शुरुआत होने से पशु पालकों में काफी प्रसन्नता है. पशु पालकों को दूध की वाजिब कीमत के साथ-साथ मवेशियों के रख-रखाव, उपचार आदि की व्यवस्था भी कंपनी की ओर से की गयी है. मिल्क चिलिंग प्लांट में 50 हजार लीटर दूध को ठंडा करने की व्यवस्था है.

कंपनी के निदेशक अभिमन्यु छापोलिया ने बताया कि फिलहाल पश्चिम चंपारण जिले के 136 गांव के गाय और भैंसपालकों से दूध की खरीद की जा रही है. हर गांव से 100 लीटर के आसपास दूध आ रहा है. दूध की गुणवत्ता के आधार पर उसकी कीमत लगायी जा रही है.

नौकरी छोड़ बना उद्यमी

बेंगलुरू के डीके छाजल एंड को कंपनी में बतौर चार्टर एकाउंटेंट की नौकरी करनेवाले अभिमन्यु छापोलिया को दो वर्ष पूर्व यहां आने का मौका मिला था. यहां आने के बाद कृषि योग्य भूमि और उत्पादकता की जानकारी मिलने पर उन्होंने बंजर भूमि पर प्राकृतिक खेती करने की योजना बनायी.

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