पटना: ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइटों पर राज्य का वाणिज्यकर विभाग शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है. इसके मद्देनजर इ-शॉपिंग की कूरियर सेवाओं या इनके लिए कूरियर का काम करनेवाली कंपनियों की ताबड़तोड़ छानबीन चल रही है. लेकिन, विभाग के पास ऐसी कोई ठोस नीति नहीं है, कि वह इन पर ठोस कार्रवाई कर सके या इन्हें राज्य में सामान बेचने से रोक सके या फिर इनसे अतिरिक्त टैक्स की वसूली कर सके.
अब वाणिज्यकर विभाग इन कंपनियों पर कूरियर सेवा के माध्यम से दबाव बना रहा है. विभाग चाहता है कि इ-कॉमर्स से जुड़ी तमाम वे कंपनियां जो ऑनलाइन सामान राज्य के ग्राहकों को बेचती हैं, वे स्टॉक यहां बनायें या अपना गोदाम राज्य में ही कहीं बनायें और यहीं से माल सप्लाइ करें, ताकि ग्राहकों को दी जानेवाली रसीद या इनव्यॉस पर जो वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) लिया जाता है, वह राज्य को मिले. विभाग इनके ‘मॉडस ऑपरेंडी’ को बदलना चाहती है. हालांकि, विभाग नियमानुसार ऐसा नहीं करने की स्थिति में इन ऑनलाइन कंपनियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकता है. न ही कोई अतिरिक्त टैक्स थोप सकता है. इसकी वजह है कि भारत में कोई भी व्यक्ति या कंपनी देश में कहीं भी सामान खरीद या बेच सकती है. वह जिस राज्य में कारोबार कर रही है, वहां उसे टैक्स चुकाना होता है.
कैसे खुली नींद
कुछ दिन पहले फ्लिपकार्ट ने बंपर सेल ऑफर शुरू किया था, जिसमें एक दिन में 600 करोड़ का कारोबार कंपनी ने किया था. इसके अलावा स्नैपडील, जबांग, अमेजन समेत अन्य कंपनियों ने भी अपने ऑफर सेल में जबरदस्त कमाई की थी. इससे राज्य के कारोबारियों को खतरा महसूस होने लगा. उन्होंने कार्रवाई की मांग शुरू कर दी. इधर वाणिज्यकर विभाग को भी लगा कि इससे यहां के वैट का नुकसान होगा.
विरोध शुरू
कूरियर कंपनियों पर कार्रवाई का बिहार टैक्सेशन बार एसोसिएशन ने विरोध किया है. एसोसिएशन के उपाध्यक्ष संजय पांडेय ने कहा है कि कूरियर कंपनियों में छापेमारी कर उन्हें निबंधन कराने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. कार्रवाई विधिसम्मत नहीं है.