पटना: गांधी मैदान की दशा सुधारने को लेकर उसके चारों तरफ बाहरी परिसर में लगातार अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन पुलिस अपनी जिम्मेवारी पूरी नहीं कर रही. पुलिस को मैदान के उत्तरी छोर पर ऑटो स्टैंड व्यवस्थित करने और पूर्वी छोर पर थाने के सामने गाड़ियों के कचरे को हटाने का टास्क मिला था, लेकिन अब तक न तो ऑटो स्टैंड व्यवस्थित हुआ और न ही पुरानी जब्त गाड़ियों को हटाया ही गया है.
11 अक्तूबर को प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में जब वरीय अधिकारियों ने गांधी मैदान का निरीक्षण किया था, तो उस समय स्पष्ट कहा गया था कि उत्तरी गेट के बाहर नियंत्रण कक्ष के सामने ऑटो स्टैंड के कारण प्रवेश द्वार बाधित रहता है. गेट पर ही ड्राइवर ऑटो को खड़ा कर यात्रियों को चढ़ाते-उतारते हैं. एसपी यातायात को कहा गया था कि वे ऑटो स्टैंड को व्यवस्थित करेंगे, ताकि प्रवेश द्वार बाधित नहीं हो. इस निर्देश के पांच दिनों बाद प्रभात खबर ने जायजा लिया, तो वहां की स्थिति जस की तस थी. बुधवार को भी ऑटोवाले गेटों को बाधित कर यात्रियों को गाड़ी पर बिठा रहे थे. इसी तरह पूर्वी छोर पर गांधी मैदान थाने के निकट वर्षो से डंप कर रखी गयी पुरानी गाड़ियों के कचरे को साफ नहीं किया गया था. मालूम हो कि बैठक में प्रमंडलीय आयुक्त ने पुरानी गाड़ियों को हटाने की जिम्मेवारी एसएसपी को दी थी. गाड़ियां यूं ही पहले की तरह पड़ी हुई हैं.
माह भर में शुरू होगी दशा सुधारने की कवायद
दशहरे के दिन भगदड़ की घटना के बाद गांधी मैदान की दशा सुधारने में प्रशासन जुट गया है. नवंबर के दूसरे सप्ताह तक सभी कागजी कार्रवाई पूरी कर तीसरे सप्ताह से काम शुरू कर दिया जायेगा. इसके लिए प्रशासन और गांधी मैदान का रखरखाव करनेवाली श्रीकृष्ण स्मारक विकास समिति में सहमति बन गयी है. इनमें मैदान के गेट को चौड़ा करने के साथ वाच टावर का निर्माण, मैदान को समतल करने से लेकर ढकी हुई नालियों के निर्माण पर अंतिम निर्णय हुआ है. अगले चरण में मैदान को सेक्टरों में बांट कर आवश्यक रखरखाव से संबंधित आकलन होगा.
गेट होग चौड़ा
फिलहाल चार-चार छोटे-बड़े गेटों की चौड़ाई बढ़ायी जायेगी. निकास द्वारों को चहारदीवारी की सीध में आठ से दस फुट अंदर ला कर सभी गेटों की चौड़ाई कम-से-कम 25 फुट की जायेगी. इसके साथ ही उन गेटों की दोनों ओर छह फुट का साइड गेट भी बनाया जायेगा. वहीं, सभी आठ गेटों पर 14 फुट चौड़ा और आठ फुट ऊंचा वाच टावर बनाया जायेगा. मैदान के भीतर बने नाले की इंटरलॉकिंग होगी और आरसीसी के ढक्कन से ढका भी जायेगा. गड्ढों को भर कर समतल किया जायेगा.