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सीवान की अमृता फुटबॉल टीम की कप्तान

सीवान: सीवान की बिटिया अमृता गुप्ता ने पूरे बिहार का नाम रोशन कर दिया है. उसे अंडर-16 एशियन फुटबॉल कॉन्फेडरेशन चैंपियनशिप के क्वालिफाइंग राउंड में भारतीय फुटबॉल टीम की कप्तानी करने का गौरव हासिल हुआ है. उसने यह मुकाम गांव की बदहाल जिंदगी, परिवार पर छायी गरीबी की काली छाया और आगे बढ़ने के लिए […]

सीवान: सीवान की बिटिया अमृता गुप्ता ने पूरे बिहार का नाम रोशन कर दिया है. उसे अंडर-16 एशियन फुटबॉल कॉन्फेडरेशन चैंपियनशिप के क्वालिफाइंग राउंड में भारतीय फुटबॉल टीम की कप्तानी करने का गौरव हासिल हुआ है.

उसने यह मुकाम गांव की बदहाल जिंदगी, परिवार पर छायी गरीबी की काली छाया और आगे बढ़ने के लिए किसी संपर्क के न होने की मजबूरी के बावजूद हासिल किया है. उसके पिता सब्जी का ठेला लगा कर पूरे परिवार का खर्च चलाते हैं. और उसी पैसे से बेटी के खेल के कैरियर को आगे बढ़ाने का काम भी कर रहे हैं. उन्हें आज लग रहा है कि उनकी मेहनत रंग लायी है. अमृता की इस उपलब्धि पर आज न सिर्फ उनका परिवार बल्कि उनका गांव, जिला और पूरा बिहार गौरवान्वित महसूस कर रहा है.

वंचित रह गयी पूर्णिया की मीनाक्षी

अमृता 17 अक्तूबर से बांग्लादेश के ढाका में शुरू हो रहे अंडर-16 एशियन फुटबॉल कॉन्फेडरेशन चैंपियनशिप की क्वालीफाइंग राउंड में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करेगी. टीम से चयन के लिए सीवान से अमृता व पूर्णिया जिले की मीनाक्षी 20 अगस्त को गुजरात के गांधी नगर में ट्रायल मैच खेलने गयी थी. जहां मीनाक्षी टीम में शामिल होने से वंचित रह गयी. जबकि एक माह तक वहां अमृता ट्रायल में रही. जिसके बाद उसका टीम में चयन होने के बाद से ही अब कप्तान की जिम्मेदारी दी गयी है. अमृता के कोच संजय पाठक कहते हैं कि भारत का पहला मुकाबला ईरान से होगा. यहां भारत के अलावा कतर, ईरान, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात की टीमें प्रतियोगिता में भाग ले रही हैं.

चार साल के संघर्ष के बाद हासिल किया मुकाम

सीवान के मैरवा प्रखंड के सिसवां खुर्द गांव की गलियों से निकल कर एशिया महादेश के नक्शे पर देश का नाम रोशन करने के पीछे अमृता चार वर्ष का संघर्ष छुपा है. कक्षा छह में अध्ययन के दौरान अमृता को पहली बार 2010 में स्कूली प्रमंडल की टीम से बेगूसराय में फुटबॉल खेलने का अवसर मिला. हालांकि प्रमंडल की टीम के लिए यहां कोई खास उपलब्धि नहीं रही. लेकिन अमृता के व्यक्तिगत प्रदर्शन की खूब सराहना की गयी. इसके बाद वर्ष 2012 में श्रीलंका के कोलंबो में खेले गये अंडर 14 चैंपियनशिप में अमृता भारतीय टीम के साथ पहली बार कोई अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने गयी, जिसमें भारत को जीत मिली. इस जीत में भी अमृता का योगदान सबसे अधिक माना गया. इसके अलावा इसी साल राष्ट्रीय स्कूली फुटबॉल प्रतियोगिता में बिहार की टीम उप विजेता रही. इससे प्रभावित होकर बिहार सरकार ने 2013 में खेल सम्मान से उसे सम्मानित किया. जिसमें प्रशस्ति पत्र व 3500 रुपये नगद दिया गया. अब अंडर -16 एशियन फुटबॉल कॉन्फेडरेशन चैंपियनशिप के क्वालिफाइंग राउंड में उसे भारत का कप्तानी करने का अवसर मिला है.

सरकार से नहीं मिला प्रोत्साहन

शंभु कहते हैं अमृता के प्रतिभा की चर्चा पिछले चार वर्ष से हो रही है. लेकिन उम्मीद के अनुसार प्रशासन व शासन के तरफ से उसे कभी प्रोत्साहन नहीं मिला. फुटबाल से लेकर स्पोर्ट्स शूूज तक के लिए हमारे पास रुपये नहीं रहे. लेकिन, उसके कोच संजय पाठक के कोशिश के बदौलत उसे हर मुकाम पर सहयोग मिलता रहा. उसकी इस सफलता में उनकी भूमिका अविस्मरणीय है.

सांसद रूडी की बेटी भी अतीशा भी टीम में शामिल

छपरा. सारण की बेटी अतीशा का चयन अंडर 16 भारतीय फुटबॉल टीम में हुआ है. वे ढाका में होनेवाली एएफसी महिला चैंपियनशिप में भारत का नेतृत्व मिड फील्डर के रूप में करेंगी. अतीशा प्रताप सिंह सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी की छोटी पुत्री हैं. दिल्ली के संस्कृति स्कूल की नौवीं की छात्र अतीशा का चयन देश की 50 लड़कियों में से सांईं सेंटर, गांधीनगर में एक माह के विशेष प्रशिक्षण के बाद किया गया. राष्ट्रीय महिला फुटबॉल कोच मेमोल रॉकी ने 23 सदस्यीय टीम की घोषणा की. राष्ट्रीय टीम में सारण की बेटी का नाम आने से जिले के लोगों में गौरव व हर्ष का माहौल है. लोगों ने अतीशा व उनके पिता श्री रूडी को बधाई दी है.

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