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पानी में राजधानी: चौकी पर सिमट गयी जिंदगी

पटना. शुक्रवार की शाम हुई बारिश का पानी रविवार को तीसरे दिन भी नहीं निकल सका. इससे राजधानी टापू बन गया है. राजेंद्र नगर से लेकर कदमकुआं, कंकड़बाग, गर्दनीबाग, पटना सिटी, दानापुर आदि मुहल्लों में जलजमाव बना हुआ है. इन इलाकों में रहनेवाले सैकड़ों लोगों के घरों में पानी घुसा हुआ है. लोगों की जिंदगी […]

पटना. शुक्रवार की शाम हुई बारिश का पानी रविवार को तीसरे दिन भी नहीं निकल सका. इससे राजधानी टापू बन गया है. राजेंद्र नगर से लेकर कदमकुआं, कंकड़बाग, गर्दनीबाग, पटना सिटी, दानापुर आदि मुहल्लों में जलजमाव बना हुआ है. इन इलाकों में रहनेवाले सैकड़ों लोगों के घरों में पानी घुसा हुआ है. लोगों की जिंदगी उनके घरों में कैद हो कर रह गयी है.

जलजमाव की समस्या को दूर करने के नगर निगम के दावे पानी में ही डूब गये हैं. हालांकि एक बार फिर निगम आयुक्त ने सोमवार सुबह 11 बजे तक पानी निकालने की बात कही है. इधर, पटना हाइकोर्ट के न्यायाधीश वीएन सिन्हा ने रविवार को जलजमाववाले क्षेत्रों का जायजा लिया और लोगों की परेशानी देखी. दूसरी ओर नाराज लोगों ने न्यू बाइपास को जाम कर अपना विरोध जताया.

राजेंद्र नगर

राजेंद्र नगर रोड नंबर एक हो या 12, इन सभी इलाकों की सड़कों पर रविवार की शाम तक पानी जमा था. राजेंद्र नगर में लिंक सड़क ही नहीं, मुख्य सड़क पर भी एक से दो फुट तक पानी है. इसी तरह मोइनुल हक स्टेडियम व मैकडॉवेल गोलंबर के समीप चार से पांच फुट पानी लगा हुआ है. मोटरसाइकिलें व कारें पानी में बंद हो जा रही थीं. दिनकर गोलंबर से प्रेमचंद रंगशाला के बीच मुख्य सड़क पर करीब दो सौ मीटर एक से तीन फुट पानी जमा है. इससे लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी हो रही है.

कदमकुआं

आयुर्वेदिक कॉलेज व कांग्रेस मैदान से लेकर पूर्वी व पश्चिमी लोहानीपुर में जलजमाव की स्थिति भयावह है. इन इलाकों में लोगों को पैदल चलने में भी कठिनाई हो रही है. बीच सड़क पर कहां पर मैनहोल व कैचपीट के ढक्कन खुले हैं, कहना मुश्कल है. आम आदमी तो कदमकुआं के किसी भी रोड से आना-जाना छोड़ दिया है और इन इलाकों के लोग घुटना भर पानी को पार कर बाजार या दफ्तर आ-जा रहे हैं. इन इलाकों के घरों में बारिश का पानी घुसा हुआ है.

गर्दनीबाग

गर्दनीबाग के रोड नंबर एक से तीन तक लबालब पानी भरा हुआ है. सड़कों पर जलजमाव की समस्या होने के साथ-साथ सरकारी क्वार्टर में भी पानी घुसा हुआ है. घरों के सामान को लोग पलंग, टेबुल और चौकी पर रख कर बचा रहे हैं. चौकी पर ही खाना बना रहे हैं. शाम होते ही घर के लोगों को सांप-बिच्छू का डर सताने लगता है. यही नहीं, अनिसाबाद पुलिस कॉलोनी, सरिस्ताबाद, जक्कनपुर, मछली गली आदि इलाकों में सामान्य रूप से जलजमाव की समस्या बनी हुई है.

इंदिरा नगर, कंकड़बाग

कंकड़बाग के पोस्टल पार्क, चिरैयाटांड़, विनोबा नगर, इंदिरा नगर, पूर्वी इंदिरा नगर आदि इलाकों में रविवार को भी एक बूंद पानी कम नहीं हुआ था. शुक्रवार की शाम जो स्थिति थी, कमोबेश वही स्थिति रविवार शाम में भी है. पूर्वी इंदिरा नगर के मुख्य सड़क पानी में डूबा हुआ है. इससे लिंक सड़कों स्थिति समझ सकते हैं. अधिकतर घरों में पानी घुसा हुआ है.

अशोक नगर, कंकड़बाग

अशोक नगर के रोड नंबर 14 हो या रोड नंबर तीन, इसके साथ-साथ नवरत्न पुर, विग्रहपुर, संजय नगर, राम लखन पथ, भोजपुर कॉलोनी, आरएमएस कॉलोनी आदि इलाके टापू बने हुए हैं. इन इलाकों में बारिश खत्म होने के दूसरे दिन भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. इन इलाकों में कहीं घुटना, तो कहीं कमर भर पानी जमा है. इससे लोगों को वाहन से चलना दूर, पैदल चलने पर भी आफत है.

ट्रांसपोर्ट नगर

ट्रांसपोर्ट नगर परिसर में जलजमाव लगा हुआ है. इसके साथ ही ट्रांसपोर्ट नगर से सटे मुहल्ले मौर्य विहार कॉलोनी, शिक्षक कॉलोनी, भागवत नगर, चाणक्य नगर, प्रियदर्शिनी नगर आदि इलाकों में कोई भी सड़क सूखी हुई नहीं है. ये सभी मुहल्लों तालाब में तब्दील हो गये हैं. मुख्य सड़कों पर तीन फुट पानी जमा हो गया है, वहीं गलियों या अंदर की सड़कों पर चार से पांच फुट पानी जमा है. लोग घरों में कैद की जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर हैं.

यारपुर

वार्ड नं 15 व 16 के यारपुर राजपुताना के शिवाजी पथ झील में तब्दिल हो गया है. सैकड़ों घरों में पानी घुसा हुआ है, जिससे लोगों का जीना दुश्वार हो गया है. शाम होते ही लोग सांप बिच्छू के डर से अपने-अपने घरों में दुबक जा रहे है.

पटना सिटी : जमा पानी देने लगा दरुगध

पटना सिटी में बारिश के 48 घंटे बाद अब जमा पानी दरुगध देने लगा है. रही -सही कसर कीचड़युक्त गंदगी, बजबजाते नाले से पूरी हो रही है. स्थिति यह है कि लोगों को पैदल चलना मुश्किल हो गया है. नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल मार्ग की स्थिति भी कुछ इसी तरह की है.

इधर निगम आयुक्त का दावा-पर-दावा

आज हो जायेगी जलनिकासी

पटना. जलनिकासी के लिए योगीपुर, सैदपुर, रामपुर व पहाड़ी स्थित संप हाउसों को 24 घंटे चलाया जा रहा है. इन संप हाउसों पर दिन-रात अधिकारियों और कर्मचारियों को तैनात किया गया है. नगर आयुक्त कुलदीप नारायण ने रविवार की सुबह साढ़े नौ बजे राजेंद्र नगर, कंकड़बाग, अनिसाबाद पुलिस कॉलोनी आदि इलाकों का जायजा लिया. पानी की कितनी निकासी हुई इसका शाम में भी जायजा लिया. नगर आयुक्त ने बताया कि कंकड़बाग के अधिकतर इलाकों से पानी की निकासी कर ली गयी है. निचले इलाकों से डीजल पंप के सहारे पानी निकाला जा रहा है. सोमवार को 11 बजे तक राजेंद्रनगर के किसी इलाके में पानी नहीं दिखेगा.

लोगों में आक्रोश, विरोध के लिए सड़क पर उतरे

घंटे भर बाइपास को रखा जाम

पटना. कंकड़बाग के संजय नगर, पूर्वी इंदिरा नगर, आरएमएस कॉलोनी, रामकृष्णा नगर, रामलखन पथ, जगनपुरा और इसके आसपास के दर्जन भर से अधिक इलाकों में में जलजमाव की समस्या विकराल बनी हुई है. इससे आक्रोशित लोगों ने रविवार को न्यू बाइपास को जाम कर दिया. इससे वाहनों की लंबी कतार लग गयी. करीब दो घंटा बाद लोगों ने जाम हटाया.

पानी पर पक रही राजनीति, सीएम व मंत्री पर निशाना

पटना को करें सेना के हवाले

पटना. पूर्व मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा है कि वर्तमान हालात से निबटने के लिए राजधानी को सेना के हवाले किया जाये. जलजमाव से साढ़े तीन लाख की आबादी परेशान हैं और मुख्यमंत्री विदेश यात्र पर हैं. वहीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश रुंगटा ने कहा है कि डेढ़ घंटे की बारिश में राजधानी में तीन फुट पानी लग गया है. इसके बावजूद राज्य के मंत्री सफाई का गुर सीखने विदेश जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे सफाई के गुर सीखने नहीं, दशहरा की छुट्टी मनाने जा रहे हैं.

रेलवे की व्यवस्था की भी खुल गयी पोल

12 लाख रुपये का हुआ नुकसान

पटना. बारिश से रेलवे की व्यवस्था की पोल खुल गयी. रूट रिले सिस्टम (आरआरआइ) फेल होने से हजारों यात्रियों को शुक्रवार की रात पटना जंकशन पर ही गुजारनी पड़ी. यात्री शेड व ट्रैक झरने में तब्दील हो गये. यात्रियों में भागम-भाग की स्थिति उत्पन्न हो गयी. शनिवार तक यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. आरआरआइ सिस्टम फेल होने से एक बार फिर रेलवे को 11 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. पटना जंकशन पर 108 मोटर मशीनें लगी हैं, जिनसे सिस्टम संचालित होता है. तेज बारिश में 21 मशीनें डूब जाने से सिस्टम शॉर्ट कर गया. इससे बारिश का पानी ट्रैक पर जमा हो गया और सिगनल ने काम करना बंद कर दिया. एक मशीन की कीमत 50 हजार है. 14 अगस्त को भी आरआरआइ सिस्टम फेल हो गया था. उस समय 24 मशीनें डूब गयी थीं. उस दौरान भी रेलवे को 12 लाख रुपये का नुकसान हुआ था.

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