पटना : भाजपा ने दवा घोटाला मामले में भले ही पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोरचा खोल रखा है, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री चंद्रमोहन राय इससे सहमत नहीं हैं. शुक्रवार को उन्होंने कहा कि दवा खरीद में मंत्री की कोई भूमिका नहीं होती. उन्होंने कहा कि मेरे स्वास्थ्य मंत्री पद से हटने के बाद दवा खरीद के लिए निगम बना था.
उसमें भी मंत्री का वजूद न के बराबर था. दवा खरीद के निर्णय में निगम के महाप्रबंधक और अधिकारियों की ही चलती थी. नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के नियमानुसार भी दवा खरीद में स्वास्थ्य मंत्री को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. मेरे स्वास्थ्य मंत्री रहते दवा खरीद का काम राज्य स्वास्थ्य समिति के ही जिम्मे था. समिति में दवा खरीद के लिए अलग से कमेटी बनी हुई थी. सिविल सर्जन और हाउस सर्जन सहित अन्य मेडिकल अधिकारियों की टीम दवाओं का चयन करती थी.
मेरे स्वास्थ्य मंत्री पद से हटने के बाद गठित निगम भी उसी तर्ज पर दवा खरीद करता रहा है. श्री राय इस बात से इनकार नहीं करते कि दवा खरीद में घोटाला हुआ है, लेकिन इसमें मंत्री की भूमिका है या नहीं, वे नहीं कह सकते. उन्होंने कहा कि जब राज्य स्वास्थ्य समिति दवा खरीद करती थी और कोई अनियमितता पायी जाती थी, तब भी स्वास्थ्य मंत्री को ही कसूरवार ठहराया जाता था. विधानसभा के बजट सत्र में हुए वाद-विवाद में भी मैंने कहा था कि मंत्री को समिति में विशेष शक्ति मिलती, तब आरोप लगाना उचित होता.