पटना: मधेपुरा के राजद सांसद पप्पू यादव ने राज्य के डॉक्टरों की फीस निर्धारित की है. उन्होंने कहा कि एमबीबीएस डॉक्टर 150 रुपये, एमडी या एमएस की डिग्रीवाले डॉक्टर 200 रुपये और अधिक अनुभवी डॉक्टर अधिकतम 300 रुपये फीस लें.
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को मरीजों से फीस लेने के बाद रसीद दिया जाना आवश्यक है. अगर डॉक्टर ऐसा नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ धरना, प्रदर्शन और अंत में कोर्ट का शरण लिया जायेगा. सांसद श्री यादव ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ऐसा कहीं नहीं होता कि पैसा लेने के बाद उसकी रसीद नहीं दी जाती हो.
यह काम सिर्फ डॉक्टर ही करते हैं. स्वास्थ्य को लेकर लोग परेशान हैं. 90 फीसदी डॉक्टर सरकारी अस्पताल में काम नहीं करते. वे इलाज का काम प्राइवेट में करना चाहते हैं. सरकार को सदर अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ठीक करने का काम प्राथमिकता से करना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य में एक भी नर्सिग होम पंजीकृत नहीं है. ऐसे में वहां पर किसी भी नियम का पालन नहीं किया जाता है. डॉक्टरों को नर्सिग होम एक्ट के तहत काम करना चाहिए. राज्य के सभी पैथोलॉजिकल और रेडियोलॉजिकल जांच की दर आइजीआइएमएस के अनुसार होनी चाहिए . डॉक्टर 150 रुपये के अल्ट्रासाउंड की जगह पर 700-800 रुपये लेते हैं.
35 रुपये के एक्स-रे का शुल्क 150 रुपये लेते हैं. राजधानी में डॉक्टरों की अधिकतम फीस 300-500 रुपये होनी चाहिए. एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक लड़की का दो-दो बार ऑपरेशन करने से उसकी जान चली गयी. मरने के बाद डॉक्टर शव को वेंटिलेटर पर रख कर पैसा ऐंठते हैं. उन्होंने शिक्षा के लिए भी अपना फैसला सुनाया. कहा, शौचालय निर्माण के पहले विद्यालय की बात होनी चाहिए. जितने भी शिक्षक हैं और जनप्रतिनिधि हैं, उनके बच्चे अनिवार्य रूप से सरकारी स्कूलों में पढ़े. सूबे में सामान्य स्कूल शिक्षा प्रणाली लागू होनी चाहिए. इसके लिए स्कूलों में योग्य व दक्ष शिक्षकों की नियुक्ति की जाये. साथ ही सभी शिक्षकों का वेतनमान 30-35 हजार रुपये किया जाये.