पटना: वर्ष 2015 के लिए बालू घाटों के टेंडर की प्रक्रिया शीघ्र शुरू होने वाली है. इस बार सभी टेंडर नयी बालू नीति के तहत होंगे. खनन एवं भूतत्व विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है.
अंतिम सहमति के लिए फाइल मुख्यमंत्री के पास है. अगर फाइल पर जल्द अनुमति मिल जाती है, तो इस महीने के अंत तक टेंडर निकालने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. विभाग 2015 के लिए टेंडर की प्रक्रिया समय रहते ही पूरी कर लेना चाहता है ताकि 2014 की तरह मामला नहीं फंसे और शुरू के चार महीने बिना टेंडर के ही बालू घाट पड़े रह जायें.
खनिज निगम के गठन के बिना होगी नीलामी: तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि राज्य खनिज विकास निगम के गठन के बाद ही बालू घाटों के नीलामी की प्रक्रिया इसके तहत पूरी की जायेगी. इस आदेश के मद्देनजर विभाग ने नये खनिज निगम के गठन की अधिसूचना जारी कर दी,लेकिन इसके बाद मामला पड़ा हुआ है. न ही नये निगम के कार्यालय का चयन हुआ और न ही कर्मचारियों की तैनाती हुई. ऐसे में बालू घाटों की नीलामी इस बार बिना किसी खनिज निगम के गठन के तहत ही होने की संभावना है. विभाग के सामने बड़ी असमंजस की स्थिति है कि वह इतनी जल्दी निगम का गठन कर बालू घाटों का ठेका कैसे करे. हालांकि विभाग ने बिना निगम के ही बालू घाटों की नीलामी की अनुमति मांगी है.
राज्य के 32 जिलों में बालू घाटों की करीब 52 यूनिट है. इसमें करीब 10 घाट ही ऐसे हैं, जहां से प्रचुर मात्र में बालू मिलता है. कुछ घाट ऐसे भी हैं, जिनकी नीलामी तक नहीं हो पाती. टेंडर लेने के लिए सबसे ज्यादा जोर-आजमाइश पटना, सारण, भोजपुर, सासाराम और औरंगाबाद जिले के लिए होती है.