17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पहुंचवालों ने पा ली स्वतंत्रता सेनानी पेंशन: जीतन राम मांझी

पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने स्वीकार किया कि जिनकी पैरवी-पहुंच थी,वह स्वतंत्रता सेनानी पेंशन लेने में सफल हो गये. लेकिन, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभायी, वे आज भी हाशिये पर रह गये. पेंशन लेने के लिए पैरवी न करानेवाले ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों पर किताबें लिखी जानी चाहिए. शुक्रवार को वह पुस्तक प्रोन्नयन […]

पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने स्वीकार किया कि जिनकी पैरवी-पहुंच थी,वह स्वतंत्रता सेनानी पेंशन लेने में सफल हो गये. लेकिन, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभायी, वे आज भी हाशिये पर रह गये. पेंशन लेने के लिए पैरवी न करानेवाले ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों पर किताबें लिखी जानी चाहिए.

शुक्रवार को वह पुस्तक प्रोन्नयन केंद्र के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि अपने हथियामा गांव के एक स्वतंत्रता सेनानी को भली-भांति जानते हैं. वे दर-दर की ठोकरें खाते रहें, पर पेंशन के लिए आवेदन नहीं किया. उनसे जब मैंने पेंशन के लिए अप्लाइ करने को कहा, तो उन्होंने सपाट जवाब दिया, क्या पेंशन लेने के लिए उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी? उन्होंने कहा कि संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘मैरी कॉम’ को बिहार में टैक्स-फ्री करने पर सरकार विचार कर रही है.

गंदी व धार्मिक उन्मादवाली पुस्तकें न पढ़ें बच्चे : बच्चे गंदी और धार्मिक उन्माद फैलानेवाली पुस्तकें न पढ़े. बच्चे गुणग्राही बने. हंस की तरह पानी-दूध के कटोरे से दूध छान कर पीने की कला सीखें. बच्चे व युवाओं से उक्त अपील शुक्रवार को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने की. वे पटना में एनबीटी के पुस्तक प्रोन्नयन केंद्र के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि आज पुस्तकों का अर्थ बदल गया है. पुस्तकों का मतलब लोग सिर्फ धार्मिक पुस्तकों से लगा लेते हैं. बच्चे फिल्मी कहानियां और कॉमिक्स की पुस्तकें अधिक पढ़ रहे हैं. उन्होंने एनबीटी के अधिकारियों से बिहार के गुम लेखकों को आगे लाने की अपील की. सांसद कहकशां परवीन ने कहा कि शिक्षक बच्चों को तालीम की रौशनी देते हैं. किताबों से अच्छा दोस्त कोई नहीं हो सकता. मौके पर सीएम ने एनबीटी की कई किताबों का लोकार्पण भी किया. उद्घाटन समारोह में प्रेम कुमार मणि, गंगेश गुंजन, आलोक धन्वा, आनंद बर्धन, मेहता नागेंद्र जी, कुमार विक्रम, डॉ कमाल अहमद, फजले गुफरान, उषा किरण खान, संतोष सिंह और मिथिलेश श्रीवास्तव आदि मौजूद थे.

किताबों का कोई विकल्प नहीं
बिहार ज्ञान की धरती है. यहां पाठक-लेखकों की संख्या सर्वाधिक है. बिहार में हर वर्ष पुस्तक-मेला लगना चाहिए. आजादी पर कविता लिखनेवाले हीरा जॉन, पर्वत पुरुष दशरथ मांझी, मोतिहारी के बावरची बसाक अंसारी व राहुल सांस्कृत्यायन की पांडुलिपियों पर किताबें लिखे जाने की जरूरत है. इंटरनेट के जमाने में भी किताबों का कोई विकल्प नहीं है. राम वचन रॉय, विधान पार्षद

इंटरनेट सूचना दे रहा, ज्ञान नहीं
बिहार में पुस्तक संस्कृति काफी समृद्ध है. इसी को ध्यान में रख कर एनबीटी ने पटना में पुस्तक प्रोन्नयन केंद्र खोला है. एनबीटी बिहार में पुस्तक-मेला लगायेगा. एनबीटी ने अब-तक 12 भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित की हैं. अब मैथिली और भोजपुरी में भी किताबें प्रकाशित होंगी. इंटरनेट आज सिर्फ इनफार्मेशन दे रहा, ज्ञान नहीं.

एमए सिकंदर, निदेशक, एनबीटी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें