किशनगंज: अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को उसके पिता का नाम दिये जाने की मांग करना एक युवती को महंगा पड़ा. पंचों ने पीड़िता को ही दोषी ठहरा दिया. इसके बाद भरी पंचायत में ही युवती की बेरहमी से पिटाई कर दी.
उसे व उसके परिवार को गांव-समाज से अलग रहने का फरमान भी सुना दिया गया. घटना से पीड़िता को ऐसा मानसिक आघात पहुंचा कि समय से पहले ही उसने बच्चे को जन्म दे दिया और खुद मौत के कगार पर जा पहुंची. स्थानीय सदर अस्पताल में बच्चे को जन्म देने के बाद गंभीर अवस्था में पहुंच चुकी पीड़िता को डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया है. यह घटना किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड की पाटकोई पंचायत के घुरना गांव की है.
पीड़िता की मां नसीमा खातून ने बताया कि पति की असामयिक निधन के बाद मजदूरी कर मैंने किसी तरह परिवार का भरण-पोषण किया. इतनी तंगहाली के बावजूद अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए उनका नामांकन पड़ोस के सरकारी विद्यालय में करा दिया था. पीड़िता गांव की ही साबेरा बेगम व इसरत बेगम के संग स्कूल जाया करती थी और पढ़ाई के सिलसिले में उसका अपने सहेलियों के घर बचपन से ही आना-जाना था. जहां साबेरा व इसरत के बड़े भाई मो सलाउद्दीन ने उसे अपने प्रेम जाल में फांस लिया. लेकिन, कुछ दिनों बाद ही सलाउद्दीन का विवाह हो जाने के कारण उनका संबंध विच्छेद हो गया था. इसके कुछ दिन बाद ही सलाउद्दीन के छोटे भाई जमील ने उस पर डोरा डालना शुरू कर दिया. उसके झूठे प्यार के झांसे में पीड़िता भी आ गयी. फिर एक दिन जब वह जरूरी सामान की खरीदारी करने पड़ोस के बाजार में गयी, तो जमील उनके घर जा पहुंचा और जबरन पीड़िता के संग शारीरिक संबंध स्थापित कर लिया और पीड़िता को जल्द शादी करने का आश्वासन देकर अपना मुंह बंद रखने की भी नसीहत दे डाली. जमील के इस कुकृत्य के कारण पीड़िता के गर्भ में उसका बच्च पलने लगा. घटना के बाद पीड़िता के परिजनों ने स्थानीय स्तर पर पंचायत भी बुलायी थी. लेकिन, आरोपित का रसूखदार परिवार से संबंध होने के कारण पंचों ने आरोपित का ही पक्ष लिया और पीड़िता को रुपयों का लालच देकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया. पीड़िता द्वारा रुपये लेने से इनकार करने के बाद अंतत: जमील उससे जल्द निकाह करने को तैयार हो गया, पर बाद में मुकर गया.
पंचायत ने पीड़िता को ही कहा बदचलन
घटना को लेकर पीड़िता के आग्रह पर गांव में गत दिनों एक बार फिर पंचायत की गयी. लेकिन, इस दौरान पंचों ने पीड़िता के अलावा उसके परिवार के किसी भी अन्य सदस्य के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी और पंचायत के दौरान आरोपित के परिजन पीड़िता पर बदचलन होने का आरोप लगाते हुए सरेआम उसे बेइज्जत करने लगे. पंचों ने ग्रामीणों के संग पीड़िता के परिजनों के हुक्का-पानी पर रोक लगा दी व उन्हें जल्द गांव छोड़ कर चले जाने का फरमान भी सुना दिया. इस दौरान पंचायत में भाग ले रहे अन्य ग्रामीण मूकदर्शक बने रहे. जमील के परिजन पीड़िता के गर्भ में पल रहे बच्चे को उसके मौसेरे भाई का बताते हुए पीड़िता को यह झूठ कबूल करने का दबाव बनाने लगे. इस घटना ने पीड़िता पर इतना मानसिक आघात पहुंचाया कि उसने प्रसव काल पूरा होने से पहले ही एक बच्चे को जन्म दे खुद मौत के कगार पर जा पहुंची.
एसपी ने दिया जांच का निर्देश
एसपी दीपक वरनवाल ने पूरे मामले से अपनी अनभिज्ञता जाहिर करते हुए फौरन कोचाधामन के थानाध्यक्ष प्रशांत कुमार को मामले की जांच का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि मामले के सत्य पाने जाने पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
बयान दर्ज
पुलिस अधीक्षक के निर्देश के बाद कोचाधामन थानाध्यक्ष प्रशांत कुमार ने भी स्थानीय एमजीएम कॉलेज पहुंच पीड़िता का बयान कलमबद्ध किया.
नहीं थे कोई जनप्रतिनिधि
पाटकोई पंचायत के मुखिया नूर आलम ने बताया कि आरोपित के परिजनों द्वारा बुलायी गयी पंचायत के दौरान पाटकोई पंचायत के किसी भी जनप्रतिनिधि ने भाग नहीं लिया था.