पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि जननायक कपरूरी ठाकुर के आशीर्वाद से ही वे मुख्यमंत्री बने हैं. कपरूरी ठाकुर ने उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा था कि एक दिन बिहार व देश के बड़े आदमी बनेंगे.
मुख्यमंत्री पद का सपना तक उन्होंने नहीं देखा था और जननायक का आशीर्वाद उन्हें लग गया और वे बिहार के मुख्यमंत्री बन गये. मुख्यमंत्री संवाद कक्ष में ‘महान कर्मयोगी जननायक कपरूरी ठाकुर’ पुस्तक के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे. ‘महान कर्मयोगी जननायक कपरूरी ठाकुर’ की दो किताबों का लेखन व संपादन उद्योग मंत्री डॉ भीम सिंह ने किया है. पुस्तक के लोकार्पण के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि कपरूरी ठाकुर सादा जीवन उच्च विचार वाले महापुरुष थे. उनका सारा जीवन समाज के गरीबों व उपेक्षितों के प्रति समर्पित था.
आज की तारीख में गरीबों का इतिहास कोई नहीं लिखता. सिर्फ अमीरों का इतिहास लिखी जाती है. गरीबों का जीवन प्रेरणा दायक होता है. ऐसी किताबें लिखी जाये तो गरीबों का इतिहास भी इतिहास के पन्नों पर आयेगा और लोग उससे प्रेरणा लेंगे. समर्पण हो तो सफलता मिलती है. कर्मठता, लगन हो तो राजनीति के शिखर पर कोई भी गरीब पहुंच सकता है. कपरूरी ठाकुर में समर्पण, कर्मठता व लगन थी. उनके जीवन को जनमानस में प्रचारित किया जाना चाहिए, ताकि उनके आचरण से समाज को प्रेरणा मिले. मुख्यमंत्री ने कपरूरी ठाकुर के साथ बिताये दो संस्मरण की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि बिहार में वे जब कांग्रेस के काल में मंत्री थे तो बीस सूत्री कमेटी के सीतामढ़ी जिले के प्रभारी थे और कपरूरी ठाकुर उस समय नेता प्रतिपक्ष थे.
बीस सूत्री की बैठक में कपरूरी ठाकुर नियमित रूप से आते थे. एक बार बैठक होनी थी. वे एक रात पहले मेरे पास आये और कहे कि वे बैठक में नहीं आ सकेंगे. इसके बाद हमने वो बैठक ही स्थगित कर दी थी. एक सप्ताह बाद जब बैठक हुई तो अनुसूचित जाति के लोगों को गांव से अलग बसाने की बात हुई. इसका कपरूरी जी ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि कैसे लोगों की सरकार है, शर्म नहीं आती. जो लोग गांव में लोगों के साथ मिल कर रह रहे हैं, उन्हें गांव से दूर बसा रहे हैं. इस पर हमने कहा कि अनुसूचित जाति समाज इससे पीड़ित है. खुद मैं भी पीड़ित हूं. हमारी बेइज्जती होती है. कुआं से पानी सबके भरने के बाद मिलता है, स्कूल में बैठने नहीं दिया जाता है. अलग से आवास, कुआं, स्कूल होने पर आजादी से तो रह सकेंगे. बैठक में सभी खुश हुए, लेकिन कपरूरी जी ने कुछ नहीं कहा. रात में वे सर्किट हाउस में आये और पीठ थपथपाते हुए कहे कि जीतन राम मांझी एक दिन बड़े आदमी बनोंगे.
पुस्तक विमोचन समारोह की अध्यक्षता करते हुए विधान परिषद् के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि कपरूरी ठाकुर समाज में कर्मयोगी के रूप में थे. वहीं, पुस्तक के लेखक व उद्योग मंत्री भीम सिंह ने कहा कि वो कपरूरी ठाकुर के व्यक्तिव के कारण ही राजनीति में आये हैं. वे विज्ञान के छात्र थे, लेकिन राजनीति से जुड़े.
हमारे आदर्श डॉ भीम राव आंबेडकर व जननायक कपरूरी ठाकुर रहे हैं. कपरूरी ठाकुर ने जिसे आगे बढ़ाया सीएम जीतन राम मांझी उसी के प्रतिरूप हैं. ये दोनों किताबें भावना से लिखी गयी हैं. समारोह में विधान पार्षद डॉ रामवचन राय, प्रभात प्रकाशन के निदेशक पीयूष कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किये. इस मौके पर कैबिनेट के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र की पत्नी ममता मेहरोत्र ने अपनी चार पुस्तकें मुख्यमंत्री को भेंट की. इस मौके पर गन्ना उद्योग मंत्री रंजू गीता व डॉ वीरेंद्र ठाकुर समेत कई लोग मौजूद थे.
नाम मात्र की कॉलेजिंग नहीं, इंटर पास थे कपरूरी जी
जननायक कपरूरी ठाकुर के बेटे और सांसद रामनाथ ठाकुर ने ‘महान कर्मयोगी जननायक कपरूरी ठाकुर’ पुस्तक के कुछ कंटेंट पर सवाल उठाये. सांसद ने नाम मात्र की कॉलेजिंग शिक्षा पर आपत्ति जतायी. उन्होंने कहा कि कपरूरी ठाकुर ने इंटर पास की थी और बीए में नामांकन भी लिया था, लेकिन परीक्षा नहीं दी थी. साथ ही 1971-78 के चुनाव पर भी आपत्ति जतायी और उसे सुधरवाने की मांग की. पुस्तक के लेखक डॉ भीम सिंह ने कहा कि पुस्तक की मूल प्रति में त्रुटियां नहीं है. जो संक्षेपन रह गया है. रामनाथ ठाकुर ने कपरूरी ठाकुर के जीवन पर लिखी किताब के लिए लेखक को धन्यवाद दिया.