पटना. राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में बुधवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने बैंकों के अधिकारियों को कई नसीहतें दी. उन्होंने कहा कि क्या बात है कि बैठक-दर-बैठक एक ही बात होती है. लक्ष्य प्राप्ति का हम कीर्तिमान नहीं बना पाते हैं.
गरीबों की योजना को लागू नहीं कर पाते हैं. नौ दिन चले ढाई कोस की कहावत कहते हुए उन्होंने कहा कि आप जिस राज्य के हों, इस देश के नागरिक तो हैं. उन्होंने कहा कि आपसे आग्रह है कि आप संवेदनशील बनने की कोशिश करिए. उन्होंने कहा कि आपका बैंक मैनेजर ब्रांच में क्या करता है? कहता है कि जाओ बहुत एमएलए-एमपी को देखा है. मन में बहुत खीझ होता है, मन करता है कि पटक कर दांत तोड़ दूं, पर कुछ ही देर में भूल जाता हूं. उन्होंने कहा कि हम तो भूल जाते हैं, पर इस राज्य के नौजवान नहीं भूलेंगे. जब वे उग्र हो जायेंगे, तो नरेंद्र मोदी, विजेंद्र यादव या नरेंद्र सिंह क्या इनके दादा भी आपको नहीं बचा सकते हैं.
संसद पर हमला हो चुका है. कहां-कहां जान बचाते रहोगे. पुलिस प्रशासन सुरक्षा नहीं दे सकती है. वे भी क्षेत्र में जनता के भरोसे घूमते हैं. एक गायवाले को आप लोन नहीं दे सकते? रुख में परिवर्तन लाइए. ठीक से व्यवहार करेंगे, तो आपके ऊपर कोई खतरा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि क्या कारण है कि बैंक में दस हजार के कर्ज पर पांच हजार कमीशन ले लिया जाता है. बैंकों में दलाल की चर्चा करते हुए कहा कि एक कॉलम नहीं भरने से आवेदन रद्द कर दिया जाता है, लेकिन दलाल के हाथों सब कॉलम भरा मान लिया जाता है. उन्होंने कहा हम आपको नसीहत नहीं सावधान कर रहे हैं.
निचले स्तर पर शिकायत को दूर करने के लिए शिकायत कोषांग बनाने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि मैं अपने दिल का दर्द बता रहा हूं. उन्होंने कहा कि अब मीटिंग नहीं, एक्शन की आवश्यकता है. जन सहयोग का अभियान चलायें. हम भी आपके बकाये की वसूली में सहयोग करेंगे. आज जो भी चाय-कॉफी पी रहे हैं, उन्हीं के पैसे के हैं.