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पैदा होने से पहले ही कर लिया बीएड

फर्जी डिग्री पर सैकड़ों शिक्षकों ने ली नौकरी, अब तक 306 बरखास्त पटना : सहरसा के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक एलबी सिंह पैदा तो हुए जनवरी 1986 में, लेकिन बीएड की डिग्री ले ली 1979 में ही. यानी जन्म से सात साल पहले. इसी तरह सारण की इंदु कुमारी भी पैदा होने से सात […]

फर्जी डिग्री पर सैकड़ों शिक्षकों ने ली नौकरी, अब तक 306 बरखास्त

पटना : सहरसा के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक एलबी सिंह पैदा तो हुए जनवरी 1986 में, लेकिन बीएड की डिग्री ले ली 1979 में ही. यानी जन्म से सात साल पहले. इसी तरह सारण की इंदु कुमारी भी पैदा होने से सात साल पहले बीएड कर गयीं.

मधेपुरा के शिवनारायण यादव, पूर्वी चंपारण की प्रीति कुमारी व तारकेश्वर प्रसाद सिंह ने यह कामयाबी पैदा होने से तीन से पांच साल पहले हासिल कर ली. मार्च-अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बहाल हुए 32,127 नियमित शिक्षकों में कम-से-कम ऐसे और 95 शिक्षक हैं, जिन्होंने पैदा होने से पहले या 21 साल की उम्र से पहले बीएड कर लिया था.

ये सभी शिक्षक सरकारी स्कूलों में स्थायी वेतनमान पर पदस्थापित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में 34,540 प्रशिक्षित शिक्षकों को बहाल करने का आदेश राज्य सरकार को दिया था. सूत्रों के मुताबिक इस आदेश के आधार पर बहाल हुए 32,127 शिक्षकों में से तीन हजार से ज्यादा शिक्षक ज्यादा फर्जी डिग्रीवाले हैं. बहाली में नाकाम रहे कई उम्मीदवारों की शिकायत के बाद इस मामले में जून 2012 में जांच शुरू हुई. उसके बाद से अब तक फर्जी डिग्रीवाले 306 शिक्षक बरखास्त भी किये जा चुके हैं.

हो रही जांच : बिहार में सरकारी स्कूलों (क्लास-1 से 8 तक) में नियमित शिक्षक के रूप में नियुक्त होने के लिए प्रशिक्षित होना जरूरी था. समान योग्यता रखनेवाले उम्मीदवारों में नौकरी के लिए प्राथमिकता उन्हें दी गयी, जिन्होंने पहले बीएड की डिग्री हासिल की थी. नियमित शिक्षक का वेतन लगभग 32,000 रुपये महीना है.

प्राथमिक शिक्षा के संयुक्त निदेशक आरएस सिंह ने बताया कि अब तक 306 नियमित शिक्षक बरखास्त किये जा चुके हैं. वैशाली और गोपालगंज से 39-39 और कैमूर से 36 ऐसे शिक्षकों को बरखास्त किया जा चुका है. विभाग नियमित और अनुबंध पर नियुक्त शिक्षकों की डिग्रियों की जांच करा रहा है. प्राथमिक शिक्षा विभाग ने अप्रैल 2012 में ही सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को लिखा था कि चयनित नियमित शिक्षकों पहला वेतन देने से पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाये कि उनकी डिग्रियों की जांच सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक हो चुकी है. लेकिन, इस पर अमल अभी तक नहीं हो पाया है.

साभार : इंडियन एक्सप्रेस

सबसे ज्यादा चार सौ फर्जी

सबसे ज्यादा गड़बड़ीवाले जिलों में सारण भी है. यहां नियुक्त 1,220 शिक्षकों में से करीब 400 फर्जी डिग्रियों पर नियुक्त बताये जा रहे हैं. लेकिन वहां सिर्फ पांच ऐसे शिक्षकों की ही नौकरी गयी है. चयनित अभ्यर्थी शिक्षक संघ के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह ने दावा किया कि ऐसे ज्यादातर शिक्षकों ने ब्लैकलिस्टेड संस्थानों से डिग्रियां हासिल की हैं. दिल्ली, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में ऐसे संस्थान हैं. प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने भी राज्य के या राज्य से बाहर के ऐसे 200 संस्थानों की सूची बनायी थी. उन्होंने कहा कि इन नियमित शिक्षकों में कितने के पास इन संस्थानों की डिग्री है, यह बताने में सरकार असमर्थ है.

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