राज्य भर में 2200 से अधिक फर्जी छात्रों की हुई पहचान
कुलभूषण
पटना : सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर प्रखंड के एक गांव से इंजीनियरिंग के 350 छात्रों की ओर से छात्रवृत्ति के दावे ने राज्य सरकार को चौंका दिया. सरकार इसे बिहार की ब्रांडिंग के लिहाज से बड़ी उपलब्धि मान कर गांव को सम्मानित करने की सोच रही थी.
एक अधिकारी को पूरा तथ्य इकट्ठा करने की जिम्मेवारी सौंपी गयी. फिर तो पूरा मामला ही उलट गया. पता चला कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई का दावा झूठा है. शहरों में बीए व एमए की पढ़ाई करने वाले छात्रों की ओर से आवेदन दिये गये थे.
सिर्फ छात्रवृत्ति हड़पने के ख्याल से इंजीनियरिंग में एडमिशन का फर्जी दस्तावेज पेश किया गया था. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अनुसूचित जाति, जन जाति व अति पिछड़ा वर्ग के छात्रों को सरकार की ओर से छात्रवृत्ति दिये जाने का प्रावधान है.
रुन्नीसैदपुर के उस गांव को सैंपल मान कर अनुसूचित जाति जन जाति कल्याण विभाग ने जब इंजीनयरिंग की पढ़ाई के नाम पर दी जाने वाली छात्रवृत्ति की जांच शुरू की, तो बड़े गोरखधंधे का खुलासा होने लगा है. अब तक करीब 2200 फर्जी आवेदन पकड़ में आये हैं.
ये सभी आवेदन अनुसूचित जाति कोटे से दावेदारी के थे. कल्याण विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि योजना का लाभ लेने के लिए फर्जीवाड़ा की कोशिश की गयी, लेकिन यह पकड़ में आ गया.
बक्सर में एक ऐसा मामला पकड़ा गया है, जिसमें छात्र नेअलीगढ़ में इंजीनियरिंग की पढ़ाई का दावा किया था, लेकिन असल में वह पटना में पढ़ाई कर रहा है. विभाग ने अब हर तरह की जांच से संतुष्ट होने का प्रयास शुरू किया है, जिससे फर्जी छात्रों को पकड़ा जा सके.
एक गांव से 350 छात्रों ने कर दिया आवेदन
जांच के बाद ही बकाये का भुगतान
2013-14 और 2014-15 की छात्रवृत्ति का भुगतान अब जांच के बाद ही किया जायेगा. हालांकि छात्रवृत्ति के लिए 578 करोड़ का आवंटन हो चुका है. जांच के बाद भुगतान किया जायेगा.
40 अफसर जांच में लगाये गये
अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग के प्रधान सचिव हुकुम सिंह मीणा ने बताया कि अब जितने भी छात्र छात्रवृत्ति ले रहे हैं, उनकी जांच संबंधित कॉलेजों में नामांकन सूची से की जा रही है. यह पता किया जा रहा है कि छात्रवृत्ति पानेवाले छात्र वहां पढ़ रहे हैं या नहीं. उनकी उपस्थिति की जांच की जा रही है. इसके लिए 40 प्रखंड कल्याण पदाधिकारियों को देश के वैसे
तकनीकी संस्थानों में भेजा जा रहा है, जहां छात्रों के नामांकन के बाद छात्रवृत्ति का भुगतान विभाग की ओर से किया जा रहा है या भुगतान का दावा किया जा रहा है. छात्रों के जाति प्रमाणपत्र और आय प्रमाणपत्र की जांच के लिए जिलों को बोरे में भर कर आवेदन भेजे जा रहे हैं.
अब नवीकरण के कागजात की भी जांच की जा रही है. जांच में यह भी जानकारी मिलेगी कि दूसरी जातियों के छात्रों द्वारा फर्जी जाति और आय प्रमाणपत्र के आधार पर रकम हड़पने का गोरखधंधा तो नहीं हो रहा है.