बागियों ने नीतीश, विधानसभाध्यक्ष व संसदीय कार्य मंत्री पर साधा निशाना
रेणु कुशवाहा व अन्नू शुक्ला पर अब तक कार्रवाई नहीं होने पर उठाया सवाल
पटना : जदयू के चार बागी विधायकों अजीत कुमार, राजू कुमार सिंह, पूनम देवी व सुरेश चंचल की सदस्यता रद्द करने पर अब नौ अगस्त को फैसला होगा. शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने इन पर लगे आरोपों की सुनवाई की.इनमें तीन द्वारा 19 जुलाई को दिये गये जवाब पर बहस हुई, जबकि विधायक सुरेश चंचल ने शनिवार को अपना जवाब विधानसभा कोर्ट को सौंपा.
सुनवाई के बाद बागी विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी व संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार पर निशाना साधा. विधायक अजीत कुमार ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार का आवेदन ही त्रुटिपूर्ण है. विधानसभा अध्यक्ष को उनके आवेदन को रद्द करना चाहिए, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं. अब हम लोग मेरिट के आधार पर जवाब देंगे.
उन्होंने कहा कि चेहरा देख कर कार्रवाई हो रही है. हम लोगों से पहले रेणु कुशवाहा व अन्नु शुक्ला को नोटिस दिया गया था, लेकिन उन्हें दो तारीख देने के बाद अब तक नहीं बुलाया गया और न ही कोई कार्रवाई की गयी.
नीतीश के आदेश का हो रहा पालन : पूनम देवी
सुनवाई के बाद विधायक पूनम देवी ने कहा कि अब गुण-दोष के आधार पर नौ अगस्त को फैसला होना है. हम पर कार्रवाई नीतीश कुमार के आदेश पर हो रही है. संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार भी नीतीश कुमार के रंग में रंगे हुए हैं.
राम भक्त हनुमान की तरह काम कर रहे हैं, लेकिन वे भी नियम के खिलाफ नहीं जा सकते हैं. पूनम देवी ने कहा कि एक ही केस में अलग-अलग कार्रवाई की जा रही है. हमें लगातार परेशान करने के लिए तारीख-पर-तारीख दी जा रही है.
आवेदन गलत होता, तो नहीं देते जवाब : श्रवण
संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि अगर उनका आवेदन गलत होता, तो बागी नेता लिखित जवाब ही नहीं देते. जवाब देकर उन्होंने स्वीकार किया है कि जो आरोप लगे हैं, वे सही हैं. जहां तक दिये गये आवेदन के फॉरमेट का सवाल है, तो उससे केस प्रभावित नहीं होता है.
तथ्य के आधार पर कार्रवाई हो रही है और बागी विधायक तथ्य को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही चाह रहे हैं कि केस ही खारिज हो जाये. वे अपने कृत्य को छुपाने के लिए आवेदन पर सवाल उठा रहे हैं.
श्रवण कुमार ने कहा कि बागी विधायक राज्यसभा उपचुनाव में दल के प्रत्याशी के खिलाफ उतरे निर्दलीय प्रत्याशियों के प्रस्तावक बने थे. नैतिकता, कानून को माननेवाला व पार्टी में रहनेवाला कोई भी व्यक्ति दल के विरुद्ध ऐसा काम नहीं करेगा. यह काम खुद के दल छोड़ने जैसा है.