पटना: भाजपा सदस्यों ने दवा खरीद घोटाले को लेकर विधान परिषद में जम कर हंगामा किया. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा के सत्येंद्र नारायण सिंह ने कार्यस्थगन प्रस्ताव भी पेश किया, जिसे आसन ने निरस्त कर दिया.
भाजपा सदस्य 1 जुलाई को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी द्वारा सदन में पीएमसीएच में दवाओं की उपलब्धता और वहां मशीनों की स्थिति की जांच अधिकारियों की एक समिति से करा कर उसकी जांच रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने की घोषणा के बावजूद कोई जांच नहीं किये जाने का भी विरोध कर रहे थे.
नेता प्रतिपक्ष सुशील मोदी ने कहा कि सरकार ने 1 जुलाई को ही इस आशय की घोषणा की थी, लेकिन जांच रिपोर्ट दो सप्ताह बाद भी सदन के पटल पर नहीं रखी गयी है. शून्यकाल के बाद भाजपा के संजीव श्याम सिंह ने फिर इस मुद्दे को उठाया और कहा कि इन दवाओं से एनएमसीएच में भी एक बच्चे की मौत हो गयी है. सरकार इसकी जांच सीबीआइ से कराये. पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक के बीच आसन ने सदन की कार्रवाई भोजनावकाश तक के लिए स्थगित कर दी.
संजय कुमार की भूमिका की हो जांच : विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सुशील मोदी ने दवा खरीद घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आप्त सचिव रहे संजय कुमार की भूमिका की जांच की मांग की है. मोदी ने कहा कि सरकार ने उन्हें दवा खरीद मामले की तकनीकी मूल्याकंन कमेटी का चेयरमैन बनाया था. उन्होंने ही दवा खरीद में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. वे राज्य स्वास्थ्य समिति में भी काम कर चुके हैं. मोदी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के नजदीकी संजय कुमार को बिहार राज्य स्वास्थ्य आधारभूत संरचना विकास निगम में पदस्थापित किया गया है. दवा खरीद की जांच के लिए जनवरी में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जांच समिति का गठन कर एक महीने में जांच रिपोर्ट पेश करने की घोषणा की थी, लेकिन छह माह बाद भी रिपोर्ट नहीं आयी है. अब तक सभी तरह की जांच का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ही दिया गया है. ऐसे में उनकी जांच पर भी सवाल उठ रहे हैं. पीएमसीएच में दवा खरीद की जांच की मॉनीटरिंग तो पटना हाइकोर्ट कर रहा है, बाकी की जांच की मॉनीटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं है.