पटना: मानव व्यापार को खत्म करने के लिए कई उपाय किये जा रहे हैं, इसके बाद भी इसमें लगातार वृद्धि हो रही है. पीड़ित लोगों को सही तरीके से मदद मिले, इसके लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रॉसिड्यूर) बना कर काम करने की जरूरत है.
तभी पीड़ित लोगों को रेस्क्यू का सही-सही लाभ मिल सकेगा. यह कहना है गृह विभाग के भारतीय पुलिस सेवा के विशेष सचिव आलोक राज का. वे सोमवार को होटल चाणक्या में जन-जागरण व इंपैक्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे.
जन-जागरण की प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर दीप शिखा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय संगठन यूएन महिलाओं के साथ मिल कर गया जिले के वजीरगंज प्रखंड में मानव व्यापार से पीड़ित महिलाओं पर काम किया गया. इससे पता चला कि मानव व्यापार के लिए गांवों से होनेवाला असुरक्षित पलायन बहुत हद तक जिम्मेवार है. इसे दूर करने के लिए एंटी ट्रैफिकिंग विजिलेंस कमेटी गठित की गयी, इनके द्वारा दूसरे राज्यों में पलायन करनेवाले लोगों की पूरी जानकारी रखी जाने लगी. कमेटी वैसे लोगों के किसी मुसीबत में फंसने पर मदद करती थी. बाल श्रमिक आयोग की उपाध्यक्ष अनिता सिन्हा ने बताया कि इसके लिए सभी जिलों में संसाधन केंद्र बना कर काम करने की जरूरत है. आयोग के पूर्व अध्यक्ष राम देव प्रसाद ने बताया कि ज्यादातर महिलाएं व युवतियां आसानी से इसका शिकार हो रही हैं. मौके पर प्रयास भारती की निदेशक सुमन लाल व सेव द चिल्ड्रेन, लक्ष्य समेत कुल 13 संस्थाओं के सदस्य उपस्थित थे.
क्या है मानव व्यापार
वेश्यावृत्ति, बेगारी, बंधुआ मजदूरी व किडनी आदि निकालने के लिए औरत व बच्चे-बच्चियों की खरीद-बिक्री करना मानव व्यापार है.
ऐसे हो सकेगी रोकथाम
-राज्य एवं जिला स्तर पर स्पेशल टास्क फोर्स गठित करना
-सामाजिक संगठनों तथा समाज के बीच तालमेल से काम करना
-कार्रवाई कर दोषी को सजा दिलाना
– छुड़ाये गये पीड़ितों को पुनर्वासित करना
– उन्हें रोजगार से जोड़ समाज की मुख्य धारा में शामिल करना
यह है एक्ट
अनैतिक मानव व्यापार निवारण अधिनियम आइटीपीए 1956 तथा भारतीय दंड संहिता 1861 के तहत कार्यवाही