पटना: गृहयुद्ध की आग में झुलस रहे इराक से भारतीय कामगारों का लौटना जारी है. शनिवार को 46 नर्सो समेत डेढ़ सौ लोगों के लौटने के बाद रविवार को भी करीब 200 भारतीय वहां से लौट कर आये.
उन्हीं में से बिहार के भी दो लोग सोमवार को नयी दिल्ली-राजगीर श्रमजीवी एक्सप्रेस से सुबह 10.03 बजे पटना जंकशन के प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर उतरे. इनमें समस्तीपुर के मो मकसूद आलम और गोपालगंज के राजू राम शामिल हैं.
प्रभात खबर के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि इराक में मचे घमसान के बाद वहां की जनता कराह उठी है. वहां के लोग कहने लगे हैं कि सद्दाम हुसैन का शासन अच्छा था. वहां संसाधनों को लूटने का झगड़ा है. इस लूट में वे भी भागीदार हैं, जो भारतीय मजदूरों को वहां ले गये हैं. इस लड़ाई का फायदा उठा कर उन्होंने भारतीय मजदूरों का कई माह से वेतन मार लिया. जान बचा वे लौट आये, यही उनके लिए बड़ी बात है.
डेढ़ महीने से नहीं मिल रहा था भरपेट भोजन
राजू ने बताया कि वह गांव के ही एक जमींदार से डेढ़ लाख रुपये कर्ज के तौर पर लिये थे, जो सूद सहित दो लाख रुपये हो गये थे. यही हाल मो मकसूद का था, उसने 1.20 लाख रुपये सूद पर कर्ज लिया था. कर्ज चुकाने और घर का भरण-पोषण करने के लिए वह इराक चला गया था. राजू का कहना है कि कंपनी के मालिक ने उसकी मजदूरी भी रख ली, जो लाखों में है. लेकिन, उन्हें इस बात की खुशी है कि वह सुरक्षित घर वापस आ गया. प्लेटफॉर्म पर उतरते ही खड़े अपने लोगों को देख राजू रोने लगा. पूछने पर उसने बताया कि पिछले डेढ़ माह से भरपेट भोजन नहीं किया. अगर भारत सरकार पहल नहीं करती, तो शायद वापस आना मुश्किल था. इतना ही नहीं, परेशानी की इस घड़ी में कंपनी के सभी मालिक इनके हाल पर छोड़ कर भाग गये थे. उन्हें एक स्थान पर रखा गया था, जहां चारों तरफ सेना पहरा दे रही थी. मो मकसूद आलम ने बताया कि वहां कुछ भारतीय मारे भी गये हैं, पर अभी उनका पता नहीं चला है. आलम का कहना है कि आतंकी घरों में बम लगा कर चले जाते हैं. घरों में बम विस्फोट होने पर लोगों की मौतें भी हो रही है. वहां जब तक आप सेना के घेरे में हैं, तब तक आप सुरक्षित हैं. बाहर निकलने पर अपहरण की आशंका है. भारत सरकार इन सभी को घरों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है.
इराक के एयरपोर्ट पर रेलवे स्टेशन जैसी भीड़
यात्रियों ने बताया कि इन दिनों इराकी हवाई अड्डे पर वैसी ही भीड़ दिख रही है, जैसी भीड़ पटना जंकशन पर है. दोनों लोगों ने बताया कि पहले भी उन्हें दो बार बाहर निकालने की कोशिश की गयी, पर नहीं निकाला जा सका. अभी बिहार सहित पूरे देश से दो से ढाई हजार लोग वहां फंसे हुए हैं. उन्हें आशंका है कि कुछ भारतीय मारे भी गये हैं, पर अभी उनका पता नहीं चला है. राजू व मकसूद तिरकिट स्थित फोर्ड डायमेंशन और अल रूआब निर्माण कंपनी में काम करते थे. तिरकिट तेल व गैस का प्रमुख उत्पाद इलाका है, इसलिए उक्त शहर आतंकियों के खास निशाने पर है. वे दोनों कंपनी में 18 माह से काम कर रहे थे. पासपोर्ट सहित सभी जरूरी दस्तावेज भी कंपनी के मालिकों ने रख लिये थे. ऐसे में इराक से बाहर निकलना उनके लिए आसान नहीं था. भारत सरकार की जिम्मेदारी पर इनको निकाला गया.
श्रम पदाधिकारी ने की अगवानी
इराक में फंसे दो मजदूरों के पटना पहुंचने पर श्रम पदाधिकारी श्रीनिवास ओझा ने उनकी अगवानी की. डीएम डॉ एन सरवण कुमार के निदेश पर उन्होंने पटना जंकशन पर श्रमजीवी एक्सप्रेस से आये मो मकसूद आलम व राजू राम को उनके घर रवाना किया.