पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति के गन्ना किसानों को गन्ना प्रमाणित बीज नहीं मिलने की जांच करायी जायेगी. पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में ही सभी योजनाओं में 16 फीसदी राशि अनुसूचित जाति के लोगों के लिए निर्धारित करने का प्रावधान किया गया था.
अनुसूचित जाति के गन्ना किसानों को किस हालत में बीज मद की राशि लौटानी पड़ी. इसकी जांच कर दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जायेगी. मुख्यमंत्री सोमवार को विधानसभा में मंजीत कुमार सिंह के तारांकित प्रश्न का जवाब दे रहे थे.
श्री सिंह ने पूछा कि वित्तीय वर्ष 2013-14 में मुख्यमंत्री गन्ना विकास कार्यक्रम के तहत गन्ना प्रमाणित बीज वितरण कार्यक्रम के तहत बगहा, मोतिहारी, बेतिया, गोपालगंज, सीवान, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सहरसा, समस्तीपुर, पूर्णिया, जमुई, आरा, भागलपुर, गया व पटना को 30 करोड़ 87 लाख 50 हजार रुपये उपलब्ध कराये गये थे. इसके विरुद्ध मात्र 27 करोड़ 55 लाख रुपये खर्च किये गये. शेष तीन करोड़ 31 लाख रुपये की राशि लौटा दी गयी. यह राशि अनुसूचित जाति व जनजाति गन्ना किसानों के नहीं रहने के कारण वापस की गयी है. उन्होंने गन्ना किसानों का ेप्रमाणित गन्ना बीज उपलब्ध कराने पर भी सवाल पूछा. गन्ना विकास मंत्री रंजू गीता ने बताया कि गन्ना अधिनियम 1981 के तहत गन्ना सव्रेक्षण में जातिगत सव्रेक्षण नहीं कराया जाता है. गन्ना सव्रेक्षण का कार्य पूरा नहीं हुआ है. इस वित्तीय वर्ष में एससी-एसटी गन्ना किसानों का सव्रेक्षण करा कर लाभ पहुंचाया जायेगा. विरोधी दल के नेता नंद किशोर यादव ने कहा कि एससी किसानों का हक मारा जा रहा है. सरकार को इस प्रश्न को स्थगित करना चाहिए.
अगर सव्रेक्षण के बगैर राशि का वितरण हुआ है, तो यह गलत बात है. पैसा वापस होता है, तो गंभीर बात है. इस पर कार्रवाई होनी चाहिए. चर्चा में भाग लेते हुए अजीत कुमार ने सदन को बताया कि मुजफ्फरपुर के गन्ना किसानों के लिए 60 लाख राशि आवंटित थी. वहां पर मोतीपुर व पूसा गन्ना प्रजनन केंद्र है. वहां पर खंडसारी के माध्यम से 48 लाख रुपये गलत लोगों को बांट दिये गये.
अतिक्रमण की होगी जांच
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि कब्रिस्तानों की जांच करायी जायेगी. अगर अतिक्रमण हो रहा होगा तो उसकी चहारदीवारी बनायी जायेगी.चहारदीवारी के लिए हर जिले में कमेटी बनी हुई है. कमेटी संवेदनशील कब्रिस्तानों का चयन करती है, फिर उसमें चहारदीवारी बनायी जाती है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सूबे में 8000 कब्रिस्तानों का चयन किया गया है. इनमें 44 00 की चहारदीवारी बन चुकी है. बाकी का काम जारी है. जदयू की सरकार में ऐसा काम हो रहा है. 2005 से पहले तो 50-100 ही कब्रिस्तान बनाये जाते थे.