पटना : भाजपा विधान मंडल दल के नेता सुशील मोदी ने नक्सलियों के प्रति बिहार सरकार की नरमी को लेकर रविवार को हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि नक्सलियों के प्रति सरकार की नरमी, वोट बैंक और चुनाव में उनकी मदद लिये जाने के कारण बिहार के 33 जिलों में उन्हें पांव पसारने में मदद मिली है. नक्सलियों की वजह से विधानसभा अध्यक्ष की जान पर खतरा बना है. वे अपने क्षेत्र तक में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. हाल ही में महेसी में नक्सलियों ने विस्फोट कर मालगाड़ी उड़ा दी थी.
हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम देने में भी वे लगातार सफल हो रहे हैं. वर्ष 2013 में बिहार में नक्सली घटनाओं में 41 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. 52 प्रतिशत पुलिस हथियार नक्सलियों ने बिहार में लूटे हैं. उन्होंने बिहार सरकार से पूछा है कि नक्सलियों से वार्ता करने से किसने रोका है? 2009 में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नक्सलियों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था, किंतु बातचीत के लिए नक्सली आगे नहीं आये. नक्सलियों का विश्वास तो सशस्त्र क्रांति में है, उसी के जरिये वे सरकार को पलटना चाहते हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्षो गृह मंत्री भी रहे, किंतु नक्सलियों से वार्ता करने में वे भी विफल रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सल समस्या से निबटने के लिए संतुलित रुख अख्तियार करने की बात कही है. सुरक्षा, विकास, कल्याण और सरकारी योजनाओं को नक्सल क्षेत्र में पहुंचाने को प्राथमिकता देने को कहा है., किंतु नक्सलियों का तो विकास कार्यो में विश्वास ही नहीं है.
पिछले तीन वर्षो में नक्सलियों ने बिहार में 153 स्कूल भवनों को ध्वस्त किया और सड़क निर्माण में लगी सैकड़ों जेबीसी मशीनों को फूंक डाला. निर्माण एजेंसियों से रंगदारी वसूल कर नक्सलियों ने विकास कार्यो को खारिज किया है.
उन्होंने बिहार सरकार से पूछा है कि नक्सलियों के समर्पण और पुनर्वास के लिए जो पैकेज बना, उसके तहत कितने नक्सलियों ने समर्पण किया? सरकार की यह योजना विफल क्यों रही? क्या बिहार सरकार नक्सल विरोधी विशेष दस्ता और अर्धसैनिक बलों को नक्सल प्रभावितों क्षेत्रों से वापस कर लेगी?