शोध कर रहे डॉक्टर जैकब जॉन का खुलासा
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर के आसपास के इलाकों में हर साल मई, जून व जुलाई में फैलनेवाली बीमारी का नाम एक्यूट हाइपो ग्लायसिमिक इंसोफेलोपैथी है. ये इंकेफलाइटिस या एइएस (एक्यूट इंकेफलाइटिस सिंड्रोम) नहीं है. इसकी वजह संक्रमण व वायरल नहीं है. ये रसायन जनित रोग हो सकता है, जिससे पीड़ित बच्चों के शरीर में ग्लूकोज की मात्र तेजी से कम हो जाती है.
इससे पीड़ित होनेवाले ज्यादातर बच्चे कुपोषित होते हैं. ये खुलासा जाने-माने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ जैकब जॉन ने किया है. डॉ जॉन पिछले दो साल से बीमारी के कारणों का पता लगाने के लिए शोध कर रहे हैं. केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सलाहकार डॉ जॉन ने पहली बार पत्रकारों से बीमारी को लेकर बात की. इस दौरान उन्होंने बीमारी के लिए लीची को जिम्मेवार ठहराये जाने की भी खंडन किया.
ब्रह्मपुरा में वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अरुण शाह के आवास पर पत्रकारों से बात करते हुये डॉ जॉन ने कहा, बीमारी का पता सुबह चार बजे से दिन में ग्यारह बजे के बीच चलता है.
लक्षणों का पता चलने के दो घंटे के अंदर हाई ग्लूकोज का इंजेक्शन लगाने से बच्चों बच्चों को मौत से बचाया जा सकता है. डॉ जॉन ने कहा, अभी तक इस बीमारी से जितने बच्चे चपेट में आये हैं, उनकी औसत उम्र दो वर्ष से अधिक व आठ वर्ष से कम है. गौर करने वाली बात यह भी है, ये सभी गरीब परिवार से आते हैं. सभी कुपोषित होते हैं, जबकि एक्यूट बैक्टिरियल मैनेजाइटिंस व जैपनीज इंकेफलाइटिस जीरो से दो या इससे कुछ अधिक उम्र के बच्चों में होता है. जैपनीज इंकेफलाइटिस होने का समय बरसात के बाद का है, जबकि यह बारिश पूर्व होने वाली बीमारी है.
दूसरी ओर, बीमार बच्चों की रीढ़ के पानी की हुई जांच में सेल का पांच नीचे आ जाना इंसोफेलोपैथी की पुष्टि करता है. बीमारी के इलाज के बारे में डॉ जॉन ने कहा कि अभी जिस लाइन ऑफ ट्रीटमेंट के तहत पीड़ित बच्चों का इलाज हो रहा रहा है, यह बिल्कुल सही है. हालांकि, उन्होंने माना कि इसके लिए कोई खास दवा नहीं है. बीमारी से बचाव के लिए प्रभावित इलाके में कुपोषण के खिलाफ अभियान चलाने की जरूरत है.
14 और बच्चों की हुई मौत
मुजफ्फरपुर. एइएस से 14 और बच्चों की जान चली गयी है. इस तरह से बीमारी से मरनेवाले बच्चों की संख्या 140 पहुंच गयी है. हाल के सालों में बीमारी से इतने बच्चों की मौत नहीं हुई थी.