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विवि शिक्षकों की नियुक्ति में लग सकता है वक्त

पटना: विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पद पर नियुक्ति में वक्त लग सकता है. राजभवन ने नियुक्ति के लिए बने परिनियम की समीक्षा के लिए तीन कुलपतियों की कमेटी गठित की है. कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही परिनियम को राजभवन की झंडी मिलेगी. विश्वविद्यालयों में सहायक प्राचार्य (असिस्टेंट प्रोफेसर) की नियुक्ति के लिए शिक्षा विभाग […]

पटना: विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पद पर नियुक्ति में वक्त लग सकता है. राजभवन ने नियुक्ति के लिए बने परिनियम की समीक्षा के लिए तीन कुलपतियों की कमेटी गठित की है. कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही परिनियम को राजभवन की झंडी मिलेगी. विश्वविद्यालयों में सहायक प्राचार्य (असिस्टेंट प्रोफेसर) की नियुक्ति के लिए शिक्षा विभाग ने दस दिन पहले ही राजभवन को परिनियम भेज दिया है, लेकिन राज्यपाल का अनुमोदन अभी तक नहीं मिला है. इसमें अभी और समय लगने की संभावना है.

विश्वविद्यालयों में खाली पड़े शिक्षकों के पदों पर बहाली के लिए शिक्षा विभाग कई साल से प्रयासरत है. 2003 के बाद विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की बहाली नहीं हो सकी है. विभाग ने लगातार विश्वविद्यालयों से खाली पदों की संख्या मांगी. पांच-छह बार डेडलाइन भी तय हुआ. रिक्तियां आयीं,तो फिर कॉलेज और विषय वार खाली पदों की संख्या मांगी गयी. रोस्टर का पालन नहीं होने पर निर्देश दिया गया. खाली पदों में 25 फीसदी सीट बैकलॉग के लिए रख रिक्तियां मांगी गयी. इसमें करीब दो साल लग गया.

खाली पड़े पदों में 75 फीसदी पदों पर बहाली के लिए रिक्तियों को बीपीएससी को सौंपा गया, तो आयोग ने लौटा दिया और शिक्षा विभाग को एक फॉर्मेट देकर विश्वविद्यालय वार भरने को कहा. इसके बाद शिक्षा विभाग ने विवि वार फॉर्मेट को भरवाया और बीपीएससी को सौंपा. अब बीपीएससी परिनियम का इंतजार कर रहा है,ताकि नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाये. शिक्षा विभाग का कहना है कि परिनियम के बिना भी बीपीएससी विज्ञापन निकाल सकता है.

तीन कुलपतियों की बनी कमेटी
सहायक प्राचार्यो की नियुक्ति के लिए तैयार परिनियम की समीक्षा के लिए राजभवन ने तीन कुलपतियों की कमेटी बनायी है. कमेटी में पटना विवि के वीसी प्रो.वाइ.सी.सिम्हाद्री, मगध विवि के वीसी प्रो. इश्तेयाक और बीआरए बिहार विवि,मुजफ्फरपुर के वीसी डॉ पंडित प्रभाकर पलांडे शामिल हैं. कमेटी शिक्षा विभाग द्वारा तैयार परिनियम की समीक्षा करेगी. अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से भी राय ली जायेगी. इसके बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट राजभवन को सौंपेगी. अगर परिनियम पर कुलपतियों की कमेटी ने सहमति जता दी,तो राज्यपाल का अनुमोदन हो जायेगा. आपत्तियां आयीं,तो राजभवन परिनियम को शिक्षा विभाग को वापस कर देगा.

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