पटना: राजेंद्रनगर टर्मिनल पर जीएम के आने की सूचना पर सारे अधिकारी पहले से ही जमे हुए थे. सबके हाथ में विभाग से संबंधित फाइल थी. इस बीच सहरसा के मोहम्मद नौशाद भीड़ चीर कर रास्ता बनाते हैं और डीआरएम से सीधे मुखातिब होते हैं.
पानी से भरी बोतल को दिखाते हैं, यह देखिए साहब, यही पानी चील्ड प्लांट से निकल रहा है. कितना गंदा है. इसका रंग देखिए. इसको कैसे पी सकते हैं. यात्री की शिकायत और बोतल में मौजूद हकीकत को देख कर डीआरएम एनके गुप्ता का माथा घूम गया. कुछ देर चुप रहे, फिर बोले-हो रहा है..मरम्मत हो रहा है.
गुस्से में यात्री : ट्रांसपोर्ट नगर की नीलम बिहटा से ट्रेन पकड़ कर राजेंद्रनगर टर्मिनल पहुंची थीं. प्यास लगी तो चील्ड प्लांट पर बोतल में पानी भर रही थीं. जब मटमैला पानी भरने लगा, तो उनके होश उड़ गये. एक तरफ प्यास से गला सूख रहा था, तो दूसरी तरफ रेलवे की घटिया व्यवस्था पर उन्हें गुस्सा आ रहा था. उन्होंने कहा कि इतनी खराब हालत है कि शुद्ध पानी भी नहीं मिल रहा है. आरा के मनु पांडेय बोकारो जाने के लिए टर्मिनल पर मौजूद थे. ट्रेन अभी लेट थी, तो पानी भर रहे थे. उन्होंने बोतल में पानी गंदा देखा, तो भड़क गये. बोले, यह तो मुंह भी धोने लायक नहीं है. पीछे से किसी ने बताया, जीएम आनेवाले हैं. उन्होंने तपाक से जवाब दिया, आने दीजिए, हम करेंगे शिकायत. लेकिन उनके आने से पहले ही उनकी ट्रेन आ गयी और वह चले गये. राजापाकड़ के अमित कुमार दिल्ली जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. वह पानी भर रहे थे. बोतल भर गयी, तो ढक्कन बंद करने लगे. तब गंदे पानी पर नजर पड़ी, तो वह हड़बड़ा गये. फिर से ढक्कन खोला और पानी फेंक दिया. यही हाल उमेश कुमार व संतोष कुमार वर्मा का था. दोनों पानी की खराब व्यवस्था पर विभाग को कोस रहे थे.
पंखे भी खराब : राजेंद्रनगर टर्मिनल के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर पूर्वी छोर पर आधे से ज्यादा पंखे बंद मिले. यात्री भीषण गरमी में फर्श पर बेबस पड़े हुए थे. गाड़ी के इंतजार में लोग अपने सामान के साथ मौजूद थे. बुरा हाल महिलाओं व बच्चों का था. वे लगातार हाथ पंखा चला रही थीं.