पटना: जीतन राम मांझी के कैबिनेट के विस्तार के बाद नाराज जदयू प्रदेश अनुशासन समिति के संयोजक व विधायक ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ज्ञानू ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को अलग-अलग दो पत्र लिखे हैं.
पहले पत्र में उन्होंने पार्टी विरोधी गतिविधियों और लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन को लेकर राज्यसभा सदस्य रामचंद्र प्रसाद सिंह, विधान पार्षद ललन सर्राफ और संजय कुमार सिंह ऊर्फ गांधी जी को पार्टी से निष्कासित करने की अनुशंसा की है. दूसरे पत्र में उन्होंने पथ निर्माण मंत्री राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह को मंत्रिमंडल व पार्टी से निष्कासित करने की मांग की. उन्होंने कहा कि अनुशासन कमेटी के संयोजक के नाते में मैंने अपनी जिम्मेवारी निभायी है.
अब राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश अध्यक्ष को आगे निर्णय लेना है. श्री ज्ञानू ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि चुनाव के एक साल पहले से मैं अनुभव कर रहा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द रहनेवाले लोग पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं. रामचंद्र प्रसाद सिंह के कदम से कार्यकर्ता नाराज हैं. उन्होंने 125 कार्यकर्ताओं की बूथ कमेटी बनाने का दावा किया था. पर, बूथ कमेटी सिर्फ कागजों पर बनी. ललन सर्राफ और संजय गांधी इस कार्य में साथ रहे.
जब चुनाव हुआ, तो कोई कार्यकर्ता बूथ तक नहीं गया. अनुशासन कमेटी के नाते मुङो शिकायत मिलती रही. उनकी गतिविधियों से पार्टी की बहुत बदनामी हुई. मैं तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अवगत भी करा चुका हूं. इन नेताओं ने पार्टी विरोधी काम किया है और अनुशासन कमेटी के संयोजक के नाते इन लोगों को पार्टी से निष्कासित करने की अनुशंसा कर रहा हूं.
दूसरे पत्र में श्री ज्ञानू ने लिखा है कि राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने विधान परिषद चुनाव में जदयू उम्मीदवार के विरोध में काम किया. इसकी शिकायत विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार ने की है. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के हेलीकॉप्टर से जदयू के खिलाफ प्रचार किया. नीतीश कुमार के बारे में अपशब्दों का इस्तेमाल किया. ललन सिंह को पार्टी से निष्कासित किया गया था. उन्होंने आश्चर्य जताया कि बिना मेरी जानकारी के ललन सिंह को दोबारा पार्टी में लेकर मुंगेर लोकसभा क्षेत्र का टिकट दे दिया गया. चुनाव में जनता ने उन्हें पूरी तरह से ठुकरा दिया. पार्टी के लिए यह दुर्भाग्य है कि एक माह के अंदर श्री सिंह को विधान परिषद का सदस्य बना कर मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया और महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री बना दिया गया. इससे पार्टी के कार्यकर्ता व विधायकों का मनोबल गिरा है. उन्हें पार्टी व सरकार से निष्कासित किया जाये.
उन्होंने कहा कि मेरे समर्थन में सोमवार को 15 नेताओं ने फोन पर बात की. मंगलवार को मेरे आवास पर विभिन्न समय पर 16 नेताओं ने आकर मुलाकात की. पार्टी में चल रही गतिविधियों को लेकर मेरी उठायी गयी बात और पक्ष का सभी ने समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि मैं बगावत के मुड़ में नहीं हूं. साथ ही ज्ञानू ने स्पष्ट किया कि मैं पार्टी में रह कर उसे मजबूत बनाने का काम करता रहूंगा.
ज्ञान की अनुशंसा पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि अनुशासन समिति से किसी के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह नहीं किया गया है. लेकिन, अपने तौर पर ऐसा मान लेना आश्चर्यजनक है. यह अनुशासनहीनता है.
15 दिनों में फैसला
मसौढ़ी से जदयू विधायक अरुण मांझी ने कहा कि वे मुसहर सभा संघ के लोगों से संपर्क कर रहे हैं. 15 दिनों में संघ की बैठक आयोजित की जायेगी. बैठक में निर्णय के बाद ही अगले कदम की घोषणा करेंगे. उन्होंने दूसरी पार्टी का दामन थामने का भी संकेत दिया. मांझी ने कहा कि किस पार्टी में जाना है, अभी तय नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन मांझीकहते हैं, मैं बेहद अपमानित महसूस कर रहा हूं.
गौड़ाबौराम से इजहार अहमद ने मैं बुधवार को अपने अगले कदम के बारे में बताऊंगा. वहीं, नरकटिया के विधायक श्याम बिहारी प्रसाद ने विधानसभा की याचिका समिति के सभापति के पद से जल्द इस्तीफा देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि कैबिनेट विस्तार के पहले भी मंत्रिमंडल में वैश्य समाज को तवज्जो नहीं दिया गया. राजद सरकार में पांच और एनडीए सरकार में इस समाज के तीन मंत्री बने थे. तल्खी भरे लहजे में श्याम बिहारी ने कहा कि जदयू सरकार में वैश्य नेताओं को दरकिनार किया गया है. साथ ही उन्होंने पार्टी नेतृत्व को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सच कहना बगावत है, तो इसे बगावत मान लिया जाये.
वहीं, विधान पार्षद नीरज कुमार ने अपना मोबाइल फोन बंद कर मीडिया से दूरी बनायी रखी. लेकिन, सूत्रों के अनुसार पार्टी द्वारा उन्हें मनाने की कोशिशों का कोई खास नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है.
इधर, पथ निर्माण मंत्री राजीव रंजन सिंह ने मंत्री बनाये जाने को लेकर पार्टी के अंदर विरोध पर प्रतिक्रिया नहीं दी. हालांकि, उन्होंने कहा कि यह मसला पार्टी अध्यक्ष का है और वह ही देखेंगे.