पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज आरोप लगाया कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चलते यह प्रदेश राजनीतिक अस्थिता का शिकार हो गया है, क्योंकि वर्ष 2010 का जनादेश वर्तमान मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के लिए नहीं था.
सुशील ने आज यहां एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चलते यह प्रदेश राजनीतिक अस्थिता का शिकार हो गया है और पिछले 11 महीनों से विकास ठप है. फिर इस प्रदेश की चर्चा नकारात्मक बातों के लिए होने लगी है.उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में बिहार की जनता ने भाजपा-जदयू गठबंधन को नीतीश कुमार के नेतृत्व में मिलकर सरकार चलाने का जनादेश दिया था. सुशील ने आरोप लगाया कि विधान सभा में तीन चौथाई बहुमत के साथ जनता ने विकास के लिए जो राजनीतिक स्थिरता दी थी, उसे ढाई साल में ही नीतीश कुमार ने गठबंधन तोडकर अस्थिरता में बदल दिया.
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि नीतीश ने प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा के कारण पिछले वर्ष जून महीने में गठबंधन तोडकर जनादेश का पहला अपमान किया जिसका जनता ने हाल के लोकसभा चुनाव में जदयू को झटका देकर सबक सिखाया.लोकसभा चुनाव में जदयू के खराब प्रदर्शन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश के इस्तीफे के बारे में सुशील ने आरोप लगाया कि उन्होंने नैतिकता और सिद्धांत की दुहाई देकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर जीतन राम मांझी को सरकार का नेतृत्व सौंपा, जबकि जनादेश किसी और व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने के लिए नहीं था. यह जनादेश का दूसरा अपमान है.सुशील ने कहा कि लोगों ने भाजपा-जदयू के साझा नेतृत्व का चेहरा देख कर उसमें जो विश्वास प्रकट किया था जिसे पहले ही तोड दिया गया. जनादेश जीतन राम मांझी के लिए नहीं था.
जदयू विधायक दल द्वारा अधिकृत किए जाने के बाद नीतीश द्वारा जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद के लिए चयनित किए जाने के बारे में सुशील ने कहा कि जिस व्यक्ति को जनादेश नहीं है, उसे ‘जुगाड’ से मुख्यमंत्री बनाया गया है और यही कारण है कि प्रशासन पर सरकार की कथित तौर पर पकड समाप्त हो गई है. उन्होंने बिहार में विकास कार्य के ठप पड जाने के साथ कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगडने का आरोप लगाते हुए कहा कि निवेशक बिहार आने से कतराने लगे हैं.
सुशील ने नीतीश पर जोड-तोड के जरिए जद-यू की अल्पमत सरकार को बहुमत दिलाने का आरोप लगाते हुए लालू प्रसाद की पार्टी और कांग्रेस का समर्थन लेने के लिए इस सरकार की खिंचाई करते हुए आरोप लगाया कि 2005 में जनता ने कुशासन के चलते लालू प्रसाद और कांग्रेस को खारिज किया था और अब मांझी सरकार के लिए इन्हीं लोगों का समर्थन लेने से गलत संदेश गया है तथा प्रशासन का मनोबल गिरा है.