पटना :राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद ने आज कहा कि बिहार में जनता दल यू सरकार को उनकी पार्टी का बिना शर्त समर्थन का उद्देश्य राज्य में सत्ता हासिल करने के भाजपा के इरादे को नाकाम करना है लेकिन उन्होंने नीतीश कुमार की पार्टी के साथ भविष्य की संभावनाओं के बारे में पूछे गये सवाल को टाल दिया.
लालू ने आज शाम यहां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की और समझा जाता है कि इस मुलाकात के दौरान उन्होंने बिहार में चुनाव के बारे में उन्हें जानकारी दी. बिहार में हाल के चुनाव में राजद, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन ने लोकसभा की 40 में से 7 सीटों पर सफलता प्राप्त की है.
लालू ने कहा, ‘‘हम सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए केंद्र में लंबे समय से कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं. बिहार में जीतन राम मांझी सरकार को हमारा समर्थन भी भाजपा को रोकने और राज्य में सत्ता हासिल करने के उसके इरादे को नाकाम करने के लिए है. यह बिना शर्त समर्थन है लेकिन हम सरकार के कामकाज पर निगरानी बनाये रखेंगे.
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा का मुकाबला करने के लिए राजद और जदयू एक साथ आयेंगे लालू ने कहा कि ये सवाल भविष्य के दायरे में आते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ समय के लिए केवल इतना सच है कि हम सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए मांझी सरकार का समर्थन कर रहे हैं इसके अलावा फिलहाल इसमें कोई राजनीति नहीं है.
सिद्दीकी ने कहा कि हमारा समर्थन जदयू सरकार के अस्तित्व के लिए निर्णायक साबित नहीं होगा, लेकिन उनकी पार्टी सामाजिक न्याय का समर्थन करती रही है. इसलिए मुख्यमंत्री के एक दलित समुदाय में सबसे कमजोर तबके से आने के कारण हम लोगों ने यह निर्णय लिया.
दरभंगा जिले के अलीनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक सिद्दीकी ने कहा कि हमारा समर्थन भाजपा और आरएसएस शक्तियों को भी पराजित करेगा. बिहार विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के कुल 88 विधायक हैं. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह समर्थन अभी के लिए है और भविष्य में हम गुण-दोष के आधार पर इस बारे में निर्णय लेंगे.
वर्तमान में 237 सदस्यीय बिहार विधानसभा में सदन के अध्यक्ष सहित जदयू के 117 विधायक, भाजपा के 88, राजद के 21, कांग्रेस के चार, भाकपा के एक और छह निर्दलीय विधायक हैं.
कांग्रेस के चार, भाकपा के एक और दो निर्दलीय विधायकों ने जदयू सरकार को समर्थन देने का पत्र पूर्व में ही राज्यपाल को सौंप दिया था. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के छह सदस्यों जिनमें से राजद के तीन, भाजपा के दो और जदयू के एक (कैमूर जिला के मोहनिया विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक छेदी पासवान के पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के खिलाफ चुनाव लडने के कारण ) के इस्तीफा दे देने की वजह से सदन की सदस्यता अब 237 रह गयी है.
राजद के जदयू को समर्थन देने की घोषणा ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की अप्रत्याशित जीत को देखते हुए प्रदेश में खुद के धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वाली शक्तियों के एकजुट होने की अटकलें शुरु हो गयी हैं. बिहार की 40 लोकसभा सीटों में भाजपा ने 22 सीटों, उसकी सहयोगी पार्टी लोजपा ने 6 और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने तीन सीटों पर विजय हासिल की है जबकि राजद को केवल चार सीटों, कांग्रेस और जदयू को दो-दो सीटों और राकांपा को एक सीट ही हासिल हो पायी है.