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एनआइए ने किया खुलासा, पटना ब्‍लास्‍ट के टारगेट थे मोदी

पटना : पटना में 27 अक्तूबर, 2013 को नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि भाजपा द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने के बाद तैयार की गयी थी. एनआइए के आरोप पत्र के मुताबिक, हमले के प्रमुख आरोपी इम्तियाज अंसारी ने अपने बयान में स्वीकार किया है कि […]

पटना : पटना में 27 अक्तूबर, 2013 को नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि भाजपा द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने के बाद तैयार की गयी थी. एनआइए के आरोप पत्र के मुताबिक, हमले के प्रमुख आरोपी इम्तियाज अंसारी ने अपने बयान में स्वीकार किया है कि पटना के गांधी मैदान में हुए सीरियल बम विस्फोट में उसका मुख्य निशाना नरेंद्र मोदी ही थे.

पटना के गांधी मैदान में वे एक के बाद एक विस्फोट कर अफरा-तफरी का माहौल बना कर वहां भगदड़ की स्थिति बनाना उनका मुख्य उद्देश्य था, ताकि इस अफरा-तफरी की स्थिति में उनका कोई एक साथी गांधी मैदान में बने मुख्य मंच के निकट पहंुच जाये और जब नरेंद्र मोदी मंच से नीचे उतरें, तभी विस्फोट कर उन्हें निशाना बनाया जाये.

* भय व आतंक का माहौल बनाने की थी कोशिश

इम्तियाज अंसारी के खिलाफ पटना स्थित एनआइए की विशेष कोर्ट में दायर अपने पहले चार्जशीट में कहा कि पटना सीरियल ब्लास्ट की पृष्ठभूमि तैयार करने में समस्तीपुर निवासी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू और सिमी का संचालक हैदर अली उर्फ अब्दुल्लाह की मुख्य भूमिका थी. दोनों अब एनआइए की गिरफ्त में हैं. इम्तियाज ने अपने बयान में कहा है कि वे इस हमले के माध्यम से देश भर में भय और आतंक का माहौल बनाने की कोशिश में थे. उन्हें यह अच्छी तरह पता चल चुका है कि प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनने के बाद नरेंद्र मोदी कई चुनावी सभाओं में भाग लेंगे और वे इन्हीं सभाओं में उन पर हमला कर अपने मकसद को अंजाम दे सकते हैं.

दरअसल, इन आतंकियों को गुजरात दंगों और हाल के दिनों में मुजफ्फरपुर दंगों को लेकर कुछ इस तरह भड़काया गया था वे किसी भी हद तक जाने को तैयार बैठे थे. उन्हें यह अंदेशा था कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बन जाने के बाद देश में धर्मनिरपेक्षता को बड़ा झटका लग सकता है. अपने इस मकसद को अंजाम देने के लिए हैदर अली ने छत्तीसगढ़ के रायपुर का भी कई बार दौरा किया था और वहां उमेर सिद्दीकी, दाउद खान जैसे आतंकियो के संपर्क में था.

* धार्मिक तकरीर से जिहाद के लिए करता था तैयार

एनआइए ने अपनी चार्जशीट में यह भी खुलासा किया है कि नरेंद्र मोदी पर हमला करने के लिए उन्होंने दिल्ली में दो अक्तूबर को आयोजित रैली स्थल की भी ह्यरेकीह्ण की थी. लेकिन वहां की सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए उन्होंने अपना इरादा टाल दिया था.

उन्होंने कानपुर में भी 19 अक्तूबर की रैली में भी नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हुए. उमेर सिद्दीकी वर्ष 1999 से सिमी के लिए काम कर रहा था संगठन पर प्रतिबंध वर्ष 2001 में प्रतिबंध लगा दिया गया था. हैदर ने उमेर को सिमी नेता अबु फैजल और इकरार शेख से भी मिलवाया था. हैदर मुस्लिम युवकों को धार्मिक तकरीर के जरीये जिहाद के लिए तैयार करने का काम करता था. बाद में इकरार और अबु फैजल को मध्य प्रदेश पुलिस ने वर्ष 2011 में गिरफ्तार कर लिया था.

* अफगानिस्तान भागने की भी योजना

एनआइए को अपनी जांच में कई ऐसे तथ्य भी मिले हैं जिससे स्पष्ट होता है कि नरेंद्र मोदी पर हमले से पहले आतंकियों ने देश से भागने की भी योजना तैयार कर रखी थी. इस हमले के एक और आतंकी अजहरुद्दीन कुरैशी से पूछताछ से इसका खुलासा होता है कि ये आतंकी हमले को सफल बनाने के बाद अफगानिस्तान भागने की बात भी करते थे.

* चार्जशीट में यह भी

– रांची के कांटा टोली बस अड्डे पर छोड़ने आया था तहसीन

इंडियन मुजाहिदीन का संचालन करनेवाला तहसीन अख्तर उर्फ मोनू और सिमी का संचालक हैदर अली उर्फ अब्दुल्लाह ने ही विगत 26 अक्तूबर की शाम रांची के कांटा टोली बस स्टैंड पर अपने साथियों को पटना के लिए विदा किया था. उन्होंने बस स्टैंड पर ही इम्तियाज अंसारी और पटना जंकशन पर विस्फोट में मारे गये मो तारिक आजम उर्फ ऐनुल को एक-एक पॉलीथिन का बैग भी सौंपा था, जिसमें लोहे की पाइप, विस्फोटक और टाइमर लगी घडि़यां रखी गयी थी.

बस स्टैंड पर तब इम्तियाज अंसारी, तौफिक अंसारी, नुमान अंसारी और मो तारिक आजम उर्फ ऐनुल मौजूद थे. ये सभी रांची से पटना की यात्रा एक स्लीपर बस में की थी. बस स्टैंड पर ही उन्होंने अपने साथियों को बताया कि पॉलीथिन में भरा विस्फोटक पूरी तरह तैयार है और उन्हें उसे हमले के लिए एक्टिवेट करने का तरीका भी सिखाया गया था. यह बस रांची से शाम करीब नौ बजे खुली थी. इन सभी को विदा करने के बाद हैदर, नुमान और तहसीन ने दूसरी बस पकड़ी थी और पीछे से पटना पहुंचे थे. ये सभी 27 अक्तूबर को जब पटना पहुंचे तो सड़क पर ट्रैफिक जाम रहने के कारण ये मीठापुर बस अड्डे से बहुत पहले ही बाइपास पर बस से उतर गये और पैदल ही मीठापुर बस स्टैंड के लिए निकल पडे. मीठापुर बस स्टैंड से ये लोग एक ऑटोरिक्शा से पटना जंकशन पहुंचे थे.

– हमले के बाद मोतिहारी भागने के फिराक में था इम्तियाज

एनआइए की पूछताछ में इम्तियाज अंसारी ने कबूल किया है कि इस आतंकी हमले की पूरी साजिश रांची में रची गयी थी. पटना जंकशन पर पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद इम्तियाज की जेब से एनआइए को एक छोटी सी पुर्जी बरामद हुई थी, जिसमें कुल छह मोबासल फोन नंबर लिखे थे. उसे पटना जंकशन पर बम प्लांट करने की हिदायत दी गयी थी. साथ ही मदद के लिए छह टेलीफोन नंबर भी उपलब्ध कराये गये थे. इम्तियाज को अपना मोबाइल फोन घर पर ही छोड़ने का निर्देश दिया गया था, ताकि पकड़े जाने की स्थिति में जांच एजेंसियों को कोई सुराग नहीं मिल सके. एनआइए को जांच में इम्तियाज का वह मोबाइल फोन नंबर (8294989548) भी हाथ लग गया, जिससे वह मोतिहारी में अपने दोस्त (9708931143) से बात कर रहा था. वह मोतिहारी के रास्ते नेपाल भागने की योजना पहले ही बना चुका था.

– निशाने पर थे बौद्ध सर्किट व दिल्ली-बोधगया के बीच की ट्रेन

स्टूडेंट्स ऑफ इस्लामिक मूवमेंट इन इंडिया (सिमी) और इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों के निशाने पर देश का बौद्ध सर्किट पर था. एनआइए ने पटना सीरियल ब्लास्ट मामले में यहां एनआइए की विशेष कोर्ट में दायर अपनी पहली चार्जशीट में खुलासा किया है कि बोधगया समेत देश के बौद्ध सर्किट में शामिल कई धार्मिक स्थल उनके निशाने पर थे.

एनआइए ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि बोधगया में जुलाई, 2013 में सीरियल बम ब्लास्ट को अंजाम देने के बाद हैदर अली उर्फ अब्दुल्लाह उमेर सिद्दीकी से मुलाकात करने रायपुर गया था. उसने रायपुर में उमेर को बताया था कि बोधगया में सीरियल ब्लास्ट करने के बाद उसके मॉड्यूल में शामिल लड़कों में काफी खुशी है. बोधगया सीरियल ब्लास्ट में इम्तियाज अंसारी, तौफिक अंसारी, तारिक आजम और मुजीबुल्लाह का हाथ था. उन्होंने दिल्ली और बोधगया के बीच चलने वाली ट्रेन में भी आतंकी हमले की योजना बनायी थी. ताकि इस हमले में ज्यादा से ज्यादा विदेशी पर्यटकों को निशाना बनाया जा सके. बाद में उन्होंने बोधगया में हमले के बाद अपनी योजना बदल दी थी.

* हमलों में आइएम लेता था सिमी मॉड्यूल की मदद

– भारत में इसलामिक व्यवस्था को लागू कराना था मकसद

पटना व बोधगया ब्लास्ट मामले की जांच में एनआइए ने खुलासा किया है कि इंडियन मुजाहिद्दीन ने कई आतंकी हमलों में सिमी के मॉड्यूल इस्तेमाल किया है. हमलों के लिए सिमी ने आइएम को कई तरह की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायी हैं. इम्तियाज अंसारी के खिलाफ पटना ब्लास्ट मामले में दायर अपनी पहली चार्जशीट में एनआइए ने कहा है कि दोनों ही आतंकी संगठन एक ही मकसद के लिए काम कर रहे हैं और वह मकसद है भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में इसलामिक व्यवस्था को लागू कराना.

पटना और बोधगया में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में आइएम और सिमी दोनों मिलकर साजिश रची थी. इसके लिए आइएम सरगना तहसीन अख्तर उर्फ मोनू ने सिमी संचालक हैदर अली उर्फ अब्दुल्लाह के बीच एक-दूसरे की आतंकी कार्रवाइयों में साथ देने का एक गुप्त समझौता भी हुआ था. इम्तियाज के खिलाफ दाखिल चार्जशीट में कहा गया है कि वह आइएम के आतंकियों के साथ संपर्क में रहता था.

– वैज्ञानिक जांच से हुआ दूध का दूध और पानी का पानी

* इम्तियाज के खिलाफ चार्जशीट में 154 को बनाया गया है गवाह

पटना सीरियल ब्लास्ट की जांच में एनआइए की जांच पूरी तरह वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है. इम्तियाज अंसारी के खिलाफ दायर चार्जशीट पटना जंकशन से उसकी गिरफ्तारी के समय बरामद बैग में रखे गये विस्फोटकों का मिलान गांधी मैदान और पटना जंकशन से बरामद विस्फोटकों की जांच सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी से करायी है. ये विस्फोटक और रांची में इम्तियाज अंसारी के घर और सीठियो स्थित एराम लॉज में मिले विस्फोटक एक ही तरह के हैं. साथ ही टाइमर के लिए इस्तेमाल की गयी घडि़यां भी लोटस कंपनी की पायी गयी हैं.

उल्लेखनीय है कि पटना जंक्शन और गांधी मैदान में हुए सीरियल विस्फोट में आतंकियों ने ह्यलोटसह्ण कंपनी की घडि़यों का इस्तेमाल किया था. पटना सीरियल ब्लास्ट मामले में दायर की गयी पहली चार्जशीट में एनआइए ने कुल 154 लोगों को बतौर गवाह पेश किया है. इनमें पटना जंकशन स्थित जीआरपी के थानाध्यक्ष रामपुकार सिंह, कांस्टेबल सुधीर कुमार शर्मा और कांस्टेबल मुकेश कुमार सिंह को भी गवाह बनाया गया है.

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