सूबे में पशुजनित रोगों की जांच की सुविधा नहीं
बरेली, कोलकाता व भोपाल के लैब में करानी पड़ती है जांच, रिपोर्ट के लिए 15 दिनों तक करना पड़ता है इंतजार
पशुओं से मानव को होती हैं एक सौ से अधिक बीमारियां
कुलभूषण
पटना : राज्य में पशुओं से मनुष्य को होनेवाली बीमारियों की जांच की कोई सुविधा नहीं है. जांच के लिए दूसरे राज्यों की लेबोरेटरी पर निर्भर रहना पड़ता है. पशुपालन विभाग को उत्तरप्रदेश के आवीआरआइ बरेली, पश्चिम बंगाल के आरडीडीएल, कोलकाता और मध्यप्रदेश के एचएसबीएल, भोपाल से जांच करानी पड़ती है. हाल में पटना जिले के दानापुर व फुलवारी में सूअर से फैली बीमारी स्वाइन फीवर की जांच के लिए सूअर की किडनी व अन्य अंग कोलकाता की रीजनल डिजीज डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी भेजना पड़ा.
इसकी जांच 24 घंटे में होती है, लेकिन पशुपालन विभाग को कोलकाता पर निर्भरता के कारण 15 दिन बाद जांच रिपोर्ट मिल सकी. विभागीय विशेषज्ञ ने बताया कि जांच के कई मामलों में एक माह तक इंतजार करना पड़ता है. हाल में ही स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर सूअर से जैपनीज इन्सेफलाइटिस होने की आशंका की जांच के लिए सूअर का ब्लड सैंपल बाहर की लैब में भेजने की तैयारी चल रही है.
पशुपालन विभाग के विशेषज्ञ ने बताया कि पशुओं से मानव में एक सौ से अधिक बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है. गंभीर बीमारियों में एंथ्रेक्स, एवियन इंफ्लुएंजा (बर्ड फ्लू), स्वाइन फ्लू, जैपनीज इन्सेफलाइटिस, टायफायड, टीबी, डायरिया आदि हैं. पशु चिकित्सा सेवा संघ के संरक्षक और एलआरएस में विशेषज्ञ के रूप में सेवा दे चुके डॉ वीरेश प्रसाद सिन्हा ने बताया कि पशुपालन विभाग में जब तक वेटनेरियन सेवा के लोग महत्वपूर्ण पद पर नहीं होंगे, तब तक यह समस्या बनी रहेगी. आइएएस अधिकारी विभाग की आवश्यकता को समझ नहीं पाते हैं. जब तक समझते हैं तब तक उनका तबादला हो जाता है. यही वजह है जिसका खामियाजा बिहार का पशुपालन विभाग भुगत रहा है.