उजियारपुर/शिवहर, छपरा/हाजीपुर . भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने दावा किया है कि इस बार बिहार में उनके विरोधियों का खाता नहीं खुलेगा. बुधवार को उजियारपुर, शिवहर और छपरा व हाजीपुर की चुनाव सभाओं में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू का नाम लिये बिना कहा कि तीरंदाजों, लालटेन और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिलेगी.
गुजरात में वोट डालने के बाद बिहार में चुनाव सभाओं को संबोधित करने आये मोदी के निशाने पर कांग्रेस, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और राजद प्रमुख लालू प्रसाद रहे. जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिये बिना उन्हें तीरंदाज से संबोधित किया. चिलचिलाती गरमी में सुनने आये युवाओं की उन्होंने खूब तालियां बटोरीं. युवकों को लुभाते हुए उन्होंने गुजरात की तुलना बिहार से क रते हुए कहा कि वहां लक्ष्मी है, लेकिन सरस्वती नहीं. जबकि बिहार में सरस्वती है, लक्ष्मी नहीं. यहां आइएएस और आइपीएस अफसरों की भरमार है. उन्होंने कहा कि कमल खिलेगा, तो बिहार में भी लक्ष्मी आयेगी.
मोदी ने बिहार की बाढ़ की समस्या, केले की खेती और किसानों की समस्या की भी चर्चा की. कहा, हम 27 अक्तूबर को पटना की महारैली में भाग लेने आये थे. उस दौरान वहां लोकतंत्र के रखवालों का खून बह रहा था, लेकिन लोगों ने धैर्य नहीं खोया. मैं तो द्वारिका से आया था, यहां कृष्ण ने मुङो बचा लिया. हम बिहार की धरती को नमन करते हैं. 27 मार्च से अब तक मोदी की 18 वीं चुनाव सभा संपन्न हो चुकी है. हाजीपुर क ी सभा में उन्होंने लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान को वोट देने की अपील की.
उजियारपुर की सभा में कांग्रेस पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि इस बार दिल्ली में मां-बेटे की सरकार को कोई नहीं बचा पायेगा. जब मोदी ने कहा कि देश को मजबूत सरकार चाहिए. ढीली-ढाली, मरी-कुचली, अस्पताल में भरती, आक्सीजन पर चलनेवाली मां-बेटे की और रिमोट पर चलनेवाली सरकार नहीं चाहिए. तो युवकों ने खूब तालियां बजायीं. उन्होंने कहा, जिस तरह सरायरंजन को ढीला-ढाला दारोगा पसंद नहीं, उसी तरह देश को मां-बेटे की ढीली-ढाली सरकार नहीं चाहिए. अपने भाषण में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कपरूरी ठाकुर की चर्चा करते हुए कहा, मैं कर्पूरी ठाकुर को नमन करता हूं और उनसे उनके अधूरे कार्यो को पूरा करने का आशीर्वाद मांगता हूं.
किसानों की हालत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उजियारपुर में केले की खेती होती है, पर किसानों को उनकी उपज की उचित कीमत नहीं मिलती. गुजरात में आदिवासी किसान केले की खेती करते हैं. केले की खेती के लिए वहां गुजरात सरकार ने सिंचाई का इंतजाम किया. पेवर-रोड बनवाये, ताकि मंडियों में ले जाने में केले खराब न हो. बिहार में तो लोग ‘पेवर-रोड’ के बारे में जानते भी नहीं होंगे. बिहार के किसानों को आधुनिक केले की खेती करनी चाहिए.
छपरा की सभा में नरेंद्र मोदी ने कहा राजद और कांग्रेस परदे में लठबंधन करते हैं और बिहार में एक साथ चुनाव सभा करने से शर्माते हैं. मलाई खाते हैं और सामने आने से डरते हैं. यह दोगली राजनीति नहीं है तो क्या हैं?
उन्होंने जनसमूह से कई बार सवाल किया, दिल्ली में कैसी सरकार चाहिए? मरी पड़ी सरकार चाहिए? अस्पताल में पड़ी सरकार चाहिए? मां-बेटे के ऑक्सीजन पर चलनेवाली सरकार चाहिए? जेल से समर्थन लेकर चलनेवाली सरकार चाहिए? फिर उन्होंने खुद जवाब भी दिया, मजबूत इरादोंवाली सरकार चाहिए. जब जनता ढीला-ढाला दरोगा पसंद नहीं करती है, छात्र ढीला-ढाला टीचर पसंद नहीं करता है, तो देश की सवा करोड़ जनता का रखवाला ढीला-ढाला क्यों रहे? जिस तरह 12 वीं का रिजल्ट खराब होने से छात्र का भविष्य बिगड़ जाता है, उसी तरह इस चुनाव का परिणाम गड़बड़ होने पर देश का भविष्य बिगड़ जायेगा. यह जिंदगी बनाने का समय है. यह मोदी का जीवन बनानेवाला चुनाव नहीं है. यह भूल जाओ की कौन जीतेगा, किसकी सरकार बनेगी.
जब भ्रष्टाचार नहीं दिखा, तो मोदी की लहर कैसे दिखेगी
मोदी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मतदान कर निकले, तो मीडिया वालों ने पूछा कि क्या मोदी लहर दिख रहा है, तो प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें नहीं दिख रहा है. मोदी ने सवाल किया कि क्या 10 साल में महंगाई दिखायी पड़ी? भ्रष्टाचार दिखायी पड़ी, बेरोजगारी उनको दिखी? पाकिस्तान ने देश के जवानों की गरदन काटी, तो दिखायी पड़ी? किसानों की आत्महत्या दिखी? नहीं दिखी, तो फिर प्रधानमंत्री को मोदी की लहर कैसे दिखाई देगी. उन्होंने कहा कि मैंने गरीबी को काफी करीब से देखा है. चाय बेचता था. घर में चूल्हा नहीं जलने पर मां कैसे रोती थी हमने देखा है. यह राहुल गांधी ने नहीं देखा है.
उजियारपुर में बोले
– कपरूरी ठाकुर के सपनों को पूरा करेंगे
– बिहार में सरस्वती के साथ लक्ष्मी आयेंगी
– 27 अक्तूबर 2013 को बिहार ने मुङो जीत लिया
– न सीएम, न पीएम, मैं आपका सेवक हूं
– परदे के पीछे के तीरंदाजों को जनता माफ नहीं करेगी
शिवहर में कहा
– बिहार बाढ़-सुखाड़, बेरोजगारी से पीड़ित
– प्रदेश में डिग्री व मेडिकल कॉलेज की कमी
– गन्ना किसानों की माली हालत ठीक नहीं
– अटल का नदियों को जोड़ने काम पूरा करेंगे
– 60 साल में रोटी, कपड़ा व मकान का सपना पूरा नहीं
-अमेरिका जैसे देश में चार-पांच हजार लोगों के बीच में लोकतंत्र पर बहस होती है. हम आपकी तपस्या को बेकार नहीं जाने देंगे.
-16 मई को जो परिणाम आनेवाले हैं, उनमें बिहार की धरती विजय दिलानेवाली है.
आपके यहां कोई सीएम, तो कोई पीएम के रूप में आता है, लेकिन मैं सेवक के रूप में आपके यहां आया हूं.