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छेने के पानी से बना कोल्ड ड्रिंक

।। मोइन आजाद ।। पटना : अगर आप बाजार में बिकनेवाले कोल्ड ड्रिंक को केमिकल के डर से पीने से परहेज करते हैं, तो बस थोड़ा इंतजार करें. छेना के पानी से बना कोल्ड ड्रिंक जल्द ही बाजार में आनेवाला है. यह पौष्टिक होने का साथ-साथ आपको गरमी से राहत भी दिलायेगा. संजय गांधी डेयरी […]

।। मोइन आजाद ।।

पटना : अगर आप बाजार में बिकनेवाले कोल्ड ड्रिंक को केमिकल के डर से पीने से परहेज करते हैं, तो बस थोड़ा इंतजार करें. छेना के पानी से बना कोल्ड ड्रिंक जल्द ही बाजार में आनेवाला है. यह पौष्टिक होने का साथ-साथ आपको गरमी से राहत भी दिलायेगा.

संजय गांधी डेयरी टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट, पटना के वैज्ञानिकों ने अब तक बेकार माने जानेवाले छेना के पानी से कोल्ड ड्रिंक बनाने की दिशा में काफी हद तक सफलता प्राप्त कर ली है. संस्थान का दावा है कि उनका कोल्ड ड्रिंक पेस्टिसाइड से भी

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दी सलाह

संजय गांधी डेयरी टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों को दो अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च करने की सलाह दी थी. अक्तूबर, 2013 में वहां के ओहयो स्टेट यूनिवर्सिटी के दो वैज्ञानिक डॉ पीएनटी हेनसन और मिस हार्बी पटना आये थे. उस समय उन्होंने बताया था कि छेना के पानी का इस्तेमाल नहीं करने के कारण इसमें घुले पोषक तत्वों का उपयोग नहीं हो पाता है.

इसे बाहर कहीं फेंक देने पर यह प्रदूषण का कारण बन जाता है. इसे ज्यादातर हलवाई या कोई इनसान नदी, तालाब या नाले में फेंक देते हैं. ऐसी जगहों पर फेंकने पर यह उस पानी को खराब कर देता है.

काफी पौष्टिक है छेनापानी

दूध फाड़ने पर इसके पोषक तत्व दो भागों में बंट जाते हैं. प्रोटीन, फैट और फैट में घुलनशील विटामिन छेना का रूप लेकर सामने आता है. ग्लैक्टोज (मिल्क, सुगर और काबरेहाइड्रेट का एक फार्म है, जो प्रोटीन के बराबर ही एनर्जी देता है), वेब प्रोटीन, वाटर सॉल्यूबल विटामिन (विटामिन बी और सी) समेत अन्य पोषक तत्व छेना के पानी के रूप में निकल जाता है.

देखा जाये, तो लोग छेना का पनीर, रसगुल्ला व मिठाइयों के निर्माण में ही इस्तेमाल करते हैं और उसके पानी को फेंक दिया करते हैं. इससे उसके पोषक तत्व भी बिना इस्तेमाल के नष्ट हो जाते हैं.

ऐसे बनेगी कोल्ड ड्रिंक

छेना के पानी में काला नमक, हरी मिर्च का पेस्ट, भूना हुआ जीरा पाउडर, अदरक, पुदीना पत्ता और काली मिर्च पाउडर मिलाया जाता है. इसके बाद प्रोसेसिंग कर इसे बोतल में पैक किया जाता है. पैकिंग के दौरान इसमें कोल्ड ड्रिंक्स की तरह ही कंप्रेस्ड कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस भी डाला जाता है, ताकि बोतल के अंदर बैक्टीरिया का ग्रोथ रुक जाये. पैकिंग के बाद बोतल को 120 डिग्री के उच्च तापमान से 4 डिग्री के निम्न तापमान पर तीन सेकेंड के अंदर लाकर स्टर्लाइज करते हैं. इसमें 90 दिनों तक किसी प्रकार के बैक्टीरिया फॉर्मेशन की गुंजाइश नहीं रहती है.

हानिकारक भी नहीं होगा

बाजार में मौजूद सभी कोल्ड ड्रिंक कंपनियां अपने प्रोडक्ट को अधिक दिनों तक खराब होने से बचाने के लिए उसमें पेस्टिसाइड का इस्तेमाल करती है. इसका स्वास्थ्य पर काफी खराब असर पड़ता है. तीन से चार साल पहले एक वैज्ञानिक ने अपने रिसर्च में इसकी विस्तृत जानकारी दी थी कि किस प्रकार यूरोप और अमेरिका की तुलना में भारत में बहुराष्ट्रीय कोल्ड ड्रिंक निर्माता कंपनियां अधिक पेस्टिसाइड मिला रही हैं.

संजय गांधी डेयरी टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट का कोल्ड ड्रिंक पूरी तरह पेस्टिसाइड मुक्त होगा. संस्थान का कहना है कि बहुत जल्द इसे बनाने की प्रक्रिया पूरी कर इसे बाजार में उतारा जायेगा.

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