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बस से बोलेरो टकरायी, सीओ की मौत

बरौली, गोपालगंजः एनएच-28 पर शुक्रवार की सुबह पश्चिम चंपारण के पीपरासी के सीओ मनोज कुमार की बोलेरो एक बस से टकरा गयी, जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गयी, जबकि अंचल अमीन चुनमुन कुमार पंडित व चालक गुफरान अली गंभीर रूप से घायल हो गये. अंचल अमीन की हालत काफी गंभीर है. उन्हें पीएमसीएच […]

बरौली, गोपालगंजः एनएच-28 पर शुक्रवार की सुबह पश्चिम चंपारण के पीपरासी के सीओ मनोज कुमार की बोलेरो एक बस से टकरा गयी, जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गयी, जबकि अंचल अमीन चुनमुन कुमार पंडित व चालक गुफरान अली गंभीर रूप से घायल हो गये. अंचल अमीन की हालत काफी गंभीर है. उन्हें पीएमसीएच के लिए रेफर किया गया है.

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सुबह साढ़े आठ बजे बरौली थाने क्षेत्र के बनकट गांव के पास पश्चिम की ओर से तेजी में जा रही सीओ की गाड़ी बाइक सवार को बचाने के क्रम में बस से टकरा गयी. वह पटना लौट रहे थे. पुलिस ने बताया कि पटना स्थित भिखना पहाड़ी के नया टोला गिरजा अपार्टमेंट फ्लैट नंबर 404 के रहनेवाले मनोज कुमार पिपरासी में सीओ थे. उनके साथ मुजफ्फरपुर के पारू थाने के बहरा दाउद गांव के चुनमुन कुमार पंडित, अंचल अमीन तथा यूपी केपडरौना के निवासी चालक गुफरान अली गंभीर रूप से घायल हो गये . अंचल अमीन और चालक को बरौली अस्पताल लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया गया . बरौली के थानाध्यक्ष मुन्ना कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच कर शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. घटना की जानकारी मिलते ही वरीय प्रशासन के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गये. पुलिस ने तुरंत सीओ के परिजनों को सूचना दी.

मौत से परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

पटनाः मनोज कुमार का 10 वर्षीय बेटा मयंक पिता से लगातार मिलने की जिद कर रहा था. मां आशा उसे लगातार समझाती, लेकिन वह नहीं मान रहा था. गुरुवार को मनोज कुमार ने मयंक व उसकी मां आशा कुमारी से 12 मई के बाद घर आने का वादा किया था, लेकिन आशा कुमारी को क्या पता था कि ये शब्द आखिरी हो जायेंगे. आशा देवी के पास शुक्रवार की सुबह नौ बजे मनोज के नंबर से फोन आया. फोन करने वाले ने मनोज के मौत की सूचना दी. खबर सुन आशा कुमारी की तबीयत बिगड़ गयी. सेवा में1995 में आये थे. मुसल्लहपुर के स्वीट हर्ट लेन निवासी तारकेश्वर सिंह के पांच पुत्रों में तीसरे मनोज कुमार 1995 में नौकरी में आये थे.

1999 में उनकी शादी बिहारशरीफ निवासी सुनील कुमार की बहन आशा कुमारी से हुई. चार माह पहले उनकी पदोन्नति हुई. उनका स्थानांतरण आरा से बेतिया हुआ, जहां पिपरासी ब्लॉक का प्रभार संभाला. लगातार ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरण के कारण बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा था. कक्षा पांच के छात्र मयंक व चार की छात्र सृष्टि की पढ़ाई को ध्यान में रख मनोज ने मकान खरीदा. मनोज ने नवंबर माह में भीखना पहाड़ी के गिरजा अपार्टमेंट में फ्लैट लिया था.

झुके कंधे को उठानी पड़ेगी बेटे की लाश

पटनाः आकाश की तरफ लगातार देखती सुनीं आंखें. लेकिन आंखों से आंसू सुख चुके थे. जो मिला उसका हाथ पकड़ लिया. उसको अपने दर्द का एहसास कराने की कोशिश की. कंपकंपाती जुबां से एक ही लफ्ज कहा, अपना दुख किसे बताऊं. मेरा दुर्भाग्य झुके व बूढ़े कंधे पर उठानी पड़ेगी बेटे की लाश. ये शब्द हैं मनोज कुमार के 85 वर्षीय वृद्ध पिता तारकेश्वर सिंह का. बेटे का जिक्र आते ही वह दीवार पकड़ कर रोने लगे. लोगों ने उनको समझाने की कोशिश की. लेकिन वह बगैर कुछ बोले जमीन पर बैठ गये.

चुनाव के बाद बेटे से मुलाकात की आस में तारकेश्वर सिंह बैठे थे. लेकिन बेटे की जगह उसकी लाश घर आयी. आप ठीक है पापा. मनोज कुमार का ये शब्द तारकेश्वर सिंह के दिमाग में घूम रहा है. पिता-पुत्र में हर दिन चार-पांच बार बात होती थी. बुधवार को भी मनोज ने कई बार बात की. लेकिन गुरुवार को उसका फोन सुबह से नहीं आया था. दोपहर के एक बजे वह फोन उठा कर बेटे का नंबर मिलाया. रिंग भी गया. लेकिन ये सोचते हुए उन्होंने फोन काट दिया कि चुनाव का वक्त है बेटा व्यस्त होगा. बेटे की आवाज सुनने की चाह में तारकेश्वर ने शाम के छह बजे मनोज कुमार को रिंग किया. लेकिन बात नहीं हो सकी. उन्होंने फोन रख दिया और दूसरे दिन बात करने की सोची. लेकिन रात के साढ़े दस बजे तारकेश्वर सिंह किसी अनहोनी की बात सोच बिस्तर से उठ गये. उन्होंने ने मनोज कुमार को फोन किया. इस दौरान वह चुनाव ड्यूटी करके वापस लौट रहे थे. तारकेश्वर सिंह ने भोजन के संबंध में पूछताछ की, तो मनोज ने कहा कि घर जाकर खाना बनायेगे. लगभग 15 मिनट तक पिता-पुत्र में बातें हुईं.

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