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दबंगों ने गरीब को किया बेघर, रह रहा श्मशान में

मोकामा: प्रखंड के बरहपुर गांव में दबंगों की कहर से गरीब ब्राह्मण अशोक पाठक बेघर हो चुका है. वह परिवार के साथ दर–दर की ठोकरें खाने को विवश है. फिलहाल उसने श्मशान घाट में अपना नया आशियाना बनाया है. श्मशान में रहने को लेकर यजमानों ने उनसे नाता तोड़ लिया. अब पूजा-पाठ व आयोजन में […]

मोकामा: प्रखंड के बरहपुर गांव में दबंगों की कहर से गरीब ब्राह्मण अशोक पाठक बेघर हो चुका है. वह परिवार के साथ दर–दर की ठोकरें खाने को विवश है. फिलहाल उसने श्मशान घाट में अपना नया आशियाना बनाया है. श्मशान में रहने को लेकर यजमानों ने उनसे नाता तोड़ लिया. अब पूजा-पाठ व आयोजन में उन्हें आमंत्रण नहीं मिलता है. वहीं, इलाके के लोग ब्राह्मण से मजदूरी कराना भी पाप समझते हैं. अशोक ने बताया कि वह दूसरे गांव में अपनी पहचान छिपा कर मजदूरी करता है. किसी तरह दो वक्त की रोटी की जुगाड़ हो जाती है. एक अदद छत के अभाव में जान पर संकट है, लेकिन उसका दर्द सुनने वाला कोई नहीं है.

क्या है मामला
बरहपुर गांव में अशोक पाठक को एक कट्ठा जमीन दान में मिली थी. वह वर्षों से उस जमीन पर गुजर-बसर कर रहा था, लेकिन गांव के बीच उसकी जमीन पर दबंगों की नजर पड़ गयी. अशोक व उसकी पत्नी व बच्चों को मारपीट कर गांव से खदेड़ दिया और लाखों की जमीन पर कब्जा कर लिया. पीड़ित ने पंचायत में इसकी शिकायत की, लेकिन मदद के लिए एक भी लोग आगे नहीं बढ़े. विवश होकर उसने स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज करायी. पीड़ित का कहना है कि कार्रवाई ढाक के तीन पात साबित हुई. पीड़ित अशोक पाठक ने बरहपुर गांव के मधुरापुर मोहल्ला निवासी ब्रजेश सिंह, चंदन सिंह, मुकुंद सिंह और सरवेश के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी.

क्या कहना है पुलिस का
स्थानीय पुलिस का कहना है कि मामला जमीन विवाद से जुड़ा है. मारपीट के आरोपितों को जमानत मिल गयी है.थानाध्यक्ष संदीप कुमार सिंह ने कहा कि बाढ़ न्यायालय में मामला लंबित है. वहीं, बाढ़ एएसपी मनोज तिवारी ने कहा कि मामले की जांच के बाद जरूरी कार्रवाई की जायेगी. इधर, सामाजिक कार्यकर्ता कुमार नवनीत हिमांशु ने कहा कि पीड़ित परिवार को न्याय के लिए आवाज उठायी जायेगी, जबकि स्थानीय मुखिया उमा देवी का कहना है कि गरीब परिवार को सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा.

गंगा में विलीन हुआ था घर
अशोक पाठक मूल रूप बेगूसराय के मधुरापुर का निवासी है. वर्षों पूर्व गंगा के रौद्र रूप से उसका घर विलीन हो गया था. तब वह परिवार के साथ भटकता हुआ मोकामा का बरहपुर गांव पहुंचा. यहां एक ग्रामीण ने तरस खाकर उसे रहने के लिए जमीन दान में दी. उस जमीन पर झोंपड़ीनुमा घर बना कर वह 40 वर्षों से रह रहा था. इस बीच दबंगों की करतूत से वह दोबारा बेघर हो गया. अशोक के परिवार में पत्नी शीला देवी और चार बच्चे हैं. गरीबी को लेकर उनके बच्चों की पढ़ाई भी नहीं हो रही है. वहीं, सुनसान जगह पर मान-सम्मान व जान पर खतरा बना रहता है.

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