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बरंडा में खौफनाक मंजर, लोगों में भय

सुधीर सिन्हा/केशव सिंह औरंगाबाद : जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर स्थित ढिबरा थाना क्षेत्र के बरंडा मोड़ के समीप सोमवार को बम विस्फोट की घटना हुई. लेकिन बात सामने जो आयी है वह है कि बरंडा मोड़ के पास भुलुआही सीआरपीएफ कैंप के जवानों के लिए ही नक्सलियों ने बारूदी सुरंग बिछायी थी. घटना […]

सुधीर सिन्हा/केशव सिंह

औरंगाबाद : जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर स्थित ढिबरा थाना क्षेत्र के बरंडा मोड़ के समीप सोमवार को बम विस्फोट की घटना हुई. लेकिन बात सामने जो आयी है वह है कि बरंडा मोड़ के पास भुलुआही सीआरपीएफ कैंप के जवानों के लिए ही नक्सलियों ने बारूदी सुरंग बिछायी थी. घटना के लगभग 18 घंटे के बाद प्रभात खबर की टीम देव मुख्यालय होते हुए बरंडा मोड़ घटनास्थल की ओर बढ़ रहे हैं. क्योंकि घटनास्थल से बरामद किये गये दो और आइइडी बम (केन बम) को विस्फोट कर डिफ्यूज किया जाना है.

देव से बेढ़नी रोड में हम बढ़ते हैं. यहां से क रीब 13 किलोमीटर की दूरी पर बरंडा मोड़ है. इसी इलाके से सटे पलामू (झारखंड) जिले का क्षेत्र भी शुरू हो जाता है. कच्ची सड़क से होते हुए हम घटनास्थल से कुछ दूरी पर पहुंचते हैं. यहां सीआरपीएफ के जवानों द्वारा सामने सड़क के बीचोंबीच पौधे की टहनियों को रख कर रास्ता को ब्लॉक कर दिया गया हैं. हम अपना परिचय देते हैं फिर भी आगे जाने की इजाजत नहीं मिलती. बताया जाता है कि यह पूरा इलाका सील कर दिया गया है.

आखिर हमें रोका भी क्यों नहीं जाता. क्योंकि, जवानों को अब भी यह आशंका है कि इस इलाके में लैंड माइंस प्लांट किये गये हैं, जो कभी भी विस्फोट हो सकता है. हम वहीं से किसी तरह तसवीर लेने की कोशिश करने लगते हैं. सोमवार को घटनास्थल से जो अन्य दो बम मिले थे, उसे विस्फोट कर डिफ्यूज करने की कोशिश की जा रही है. इसमें गया से आये बम निरोधक दस्ता लगी हुई है. जिन दो बमों को डिफ्यूज करने का प्रयास किया जा रहा है वह ढ़ाई-ढ़ाई किलो वजन का बताया जा रहा है. हालांकि, जिस घटना में तीन जवान शहीद हुए व आठ घायल हुए, वह बम इन दोनों बमों से काफी शक्तिशाली था.

उसका वजन लगभग आठ किलोग्राम था. इन तीनों बमों को नक्सलियों ने जिस जगह को लगाने के लिए चुना था, इससे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उनके निशाने पर मृत हुए जवान नहीं थे. क्योंकि, बम लगाये जाने वाली जगह से रामपुर बरंडा गांव होते हुए ही भलुआही सीआरपीएफ कैंप तक जाने वाली यही कच्ची सड़क ही एक मात्र रास्ता है. इस जगह से दूसरी ओर निकली सड़क ढ़िबरा थाना की ओर जाती है, जो घटनास्थल से लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. भलुआही सीआरपीएफ कैंप पर हमेशा 120 जवान रहते हैं. घटना के इतने घंटे बाद भी घटनास्थल पर अब भी खौफनाक मंजर कायम है.

बरंडा मोड़ का इलाका चीख-चीख कर यहां हुई खूनी दास्तां को बयां कर रही है. सीआरपीएफ जवान इलाके को पूरी तरह सिल कर दिये हैं. थोड़े-थोड़े दूर पर सीआरपीफ के जवान हथियार लिये तैनात हैं. हर हरकतों पर वे अपनी पैनी नजर रख रहे हैं. आसपास के क्षेत्र के लोग भी काफी सहमे हैं. आइडी बम को विस्फोट की तैयारी बम निरोधक दस्ते की टीम द्वारा पूरी कर ली गयी है. हम भी अपने कैमरे का फोकस रखे गये बम की ओर करते हैं. मिट्टी व बालू से भरे बोरे के बीच में बम को रखा गया है.

तभी एक जोरदार का धमाका होता है और रखे गये बम के समीप जमीन से बालू व मिट्टी भी आसमान में उड़ जाते हैं. जोरदार धमाके की आवाज कानों में अभी गूंज ही रहे थे कि दूसरा जोरदार का धमाका होता है. इन दोनों बमों की आवाज इतना दमदार था कि लगभग ढ़ाई से तीन किलोमीटर तक का इलाका इसकी गूंज से दहल उठा. दोनों बमों को विस्फोट द्वाराडिफ्यूज किये जाने के बाद भी जवान आसपास के इलाकों की जांच करने लगे. हम वापस लौटने लगते हैं.

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