महालेखाकार कार्यालय ने 2875 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाणपत्र लौटाया
पटना : गलत ढंग से तैयार 2875 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र को महालेखाकार (एजी) कार्यालय ने विभागों को लौटा दिया है. शिक्षा विभाग का 2819 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) सामंजन के लिए महालेखाकार कार्यालय में लंबित है. समंजन नहीं होने का कारण यह है कि पुराने प्रपत्र में उसे भरा गया था. विभाग का कहना है कि समंजन हुआ या नहीं, इसकी औपचारिक सूचना उन्हें नहीं है.
समाज कल्याण विभाग को दी गयी अनुदान राशि के उपयोगिता प्रमाणपत्र का सामंजन इसलिए नहीं हुआ कि एजी को पता ही नहीं है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन को स्वीकृति देने का अधिकार जिलाधिकारी को है और उनके ही हस्ताक्षर से उपयोगिता प्रमाणपत्र देना है. पंचायती राज विभाग ने प्रपत्र बिहार ट्रेजरी कोड 42 ए में संशोधन के लिए वित्त विभाग को भेजा है. वहां यह मामला लंबित है. अगर नियम को सरल कर दिया जाये, तो उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा करने की प्रक्रिया सरल हो जायेगी.
नगर विकास विभाग का 1.58 करोड़ का यूसी इसलिए वापस कर दिया गया कि उसमें टीवी नंबर गलत दर्ज था. 28 मार्च को मुख्य सचिव ने उपयोगिता प्रमाणपत्र के सामंजन की प्रगति की समीक्षा की थी. समीक्षा में खुलासा हुआ कि विभागों व महालेखाकार कार्यालय के बीच समन्वय नहीं है. विभागों का कहना था कि उपमहालेखाकार के नहीं रहने के कारण यूसी का सामंजन नहीं हो रहा है. मनमर्जी तरीके से आपत्ति लगा कर विपत्रों को वापस कर दिया जाता है. कुछ विभागों का कहना था कि सामंजन क्यों नहीं होगा. इसका कारण बताये बिना ही बिल वापस कर दिया जाता है. इसके जवाब में महालेखाकार ने कहा कि कार्यालय का कार्य किसी पदाधिकारी विशेष के नहीं रहने से बंद नहीं होता. अगर किसी विभाग को कठिनाई है, तो संज्ञान में मामला को लायें.