पटना: बिहार में लोकसभा चुनाव के दौरान अपने प्रभाव वाले इलाकों में नक्सली संचार व्यवस्था को अपना निशाना बना सकते हैं. नक्सलियों ने अपने चुनाव बहिष्कार को प्रभावी बनाने के लिए सरकारी व निजी क्षेत्र के मोबाइल टावरों को विस्फोट से उड़ाने की साजिश रची है.
इस साजिश के पीछे उनकी मंशा चुनाव के दौरान संचार व्यवस्था को ध्वस्त करने की है. कई मोबाइल कंपनियों ने भी नक्सल प्रभावित इलाकों में लगाये गये अपने मोबाइल टावर की सुरक्षा की पुलिस से गुहार लगायी है.
भेज रहे बल्क एसएमएस :राज्य पुलिस मुख्यालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बिहार में लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान में जिन छह सर्वाधिक नक्सल प्रभावित लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होने हैं वहां के मोबाइल टावरों की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. दरअसल, प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) अपने आधार क्षेत्रों में मोबाइल कंपनियों से लेवी वसूलने के लिए ऐसी हरकत करता रहा है. लेकिन इस बार उनका मकसद चुनाव को प्रभावित करना है. माओवादियों ने बिहार में भी चुनाव बहिष्कार का एलान कर रखा है. खुफिया एजेंसियों की मानें तो इस एलान के साथ ही उन्होंने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है. कई जगह तो उन्होंने बल्क एसएमएस भेज कर लोगों से चुनाव बहिष्कार की अपील की है.
गड़बड़ी फैलाने की तैयारी :चुनाव में गड़बड़ी फैलाने के लिए नक्सल प्रभावित इलाकों में आतंक का माहौल बनाने की कवायद भी शुरू कर दी है. चुनाव बहिष्कार से संबंधित नक्सलियों के पोस्टर भी विभिन्न जगहों पर पाये जा रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि संचार व्यवस्था शुरू से नक्सलियों के निशाने पर रहा है. बिहार के सुदूर इलाकों में जहां निजी मोबाइल कंपनियों के टावर लगे हैं वे अक्सर उनके निशाने पर होते हैं. पिछले छह माह के दौरान ही उन्होंने राज्य भर में करीब तीन दर्जन मोबाइल टावरों को विस्फोट से उड़ा दिया है.
चुनाव के समय निजी कंपनियों के मोबाइल टावर की भूमिका बढ़ जाती है. मुख्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि चुनाव के दौरान बिहार पुलिस ने भी सैटेलाइट फोन की व्यवस्था की है, लेकिन ये केवल सुरक्षाकर्मियों के लिए ही होंगे. मोबाइल टावर से हर मोबाइल फोन जुड़ा रहता है. प्रथम चरण के मतदान में बिहार के जिन छह सर्वाधिक नक्सल प्रभावित लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होने हैं वहां के सभी मोबाइल टावरों की चौकसी बढ़ा दी गयी है.