पटना: इसे भारतीय राजनीति की विडंबना कहें या फिर दुनिया में तेजी से पांव पसार चुके बाजारवाद की ताकत, भारतीय लोकतंत्र के सबसे बड़े त्योहार यानी लोकसभा चुनाव में सभी पार्टियों के चुनाव प्रचार की कमान चीन के हाथों में है.
विभिन्न पार्टियों के चुनाव चिह्न्वाले गैजेट्स, रिस्ट वॉच, वॉल वॉच, छाता, झंडे व बैनर, कार्यकर्ताओं के पहचान पत्र, मोबाइल फोन के कवर, थैले और कंधों पर रखे जानेवाले पट्टे सभी चीन निर्मित हैं. खास यह कि राजद का चुनाव चिह्न् लालटेन भी चीन निर्मित है, जो के रोसिन पर नहीं, बल्कि बैटरी और सौर ऊर्जा से प्रकाश फैला रहा है.
पटना में राष्ट्रीय, क्षेत्रीय व निर्दलीय प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार के लिए सजी दुकानों में अब खरीदारों की भीड़ भी उमड़ने लगी है. ऐसी दुकानों के मालिक भले ही अपने चुनावी व्यवसाय की अंदरुनी बात खुल कर बताने से परहेज करते हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि केवल बिहार में ही चीन निर्मित चुनाव प्रचार सामग्री का बाजार सौ करोड़ रुपये का है. इन चुनाव प्रचार सामग्री के खरीदार भी कोई और नहीं, बल्कि वहीं राजनेता और उनकी राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियां हैं, जो देश के विकास में यहां के कुटीर उद्योगों को संरक्षण देने की दुहाई देते नहीं थकते. लेकिन, उनके चुनावी घोषणा पत्र में भारत में तेजी से पांव पसार रहे चीन निर्मित सामग्री को नियंत्रित करने क ी कोई चर्चा तक नहीं होती.
कोलकाता व दिल्ली से आती है सामग्री : चुनाव प्रचार सामग्री के एक दुकानदार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ये सभी सामग्री दिल्ली, कोलकाता और देश के अन्य महानगरों से यहां आ रही हैं. दिल्ली और कोलकाता में बैठे बड़े व्यापारी इन प्रचार सामग्री का ऑर्डर चीन भेजते हैं और वहां से ये सामग्री भारत पहुंच रही हैं. इसके पीछे का अर्थशास्त्र बताते हुए उस व्यवसायी ने कहा कि इन सामग्री का निर्माण हमारे देश में भी होता है, लेकिन यहां बने सामान की कीमत इतनी अधिक होती है कि उसकी बिक्री संभव नहीं है. वैसे भी दीवाली में लक्ष्मी की पूजा का रिवाज केवल हमारे देश में है, लेकिन दीवाली के बाजार पर भी चीन का ही कब्जा है-लक्ष्मी का पूजन भारत में और धन की वर्षा चीन में.