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चुनावी चौपाल में सियासत पर चर्चा

गोह (औरंगाबाद) : सोहलवीं लोकसभा चुनाव को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में अब लोगों की चौपाल लगने लगी है. सभी 15 उम्मीदवारों पर चर्चा जारी है. चुनावी समर में युवा वर्ग भी पीछे नहीं हैं. युवा भी प्रत्याशियों की परीक्षा लेने में लगे हैं. विभिन्न मुद्दों पर किये गये सवाल कुछ उम्मीदवारों के पसीने छुड़ाने में […]

गोह (औरंगाबाद) : सोहलवीं लोकसभा चुनाव को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में अब लोगों की चौपाल लगने लगी है. सभी 15 उम्मीदवारों पर चर्चा जारी है. चुनावी समर में युवा वर्ग भी पीछे नहीं हैं. युवा भी प्रत्याशियों की परीक्षा लेने में लगे हैं. विभिन्न मुद्दों पर किये गये सवाल कुछ उम्मीदवारों के पसीने छुड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

ऐसे युवा मतदाता जब उनके गांव में प्रत्याशियों की गाड़ी पहुंचती है तो एकजुट होकर राष्ट्रीय मुद्दों पर आधारित कई सवाल दाग कर प्रत्याशियों को परेशान कर दे रहे हैं. युवा वर्ग के दिलचस्पी के कारण मतदान परिणाम जहां रोचक होने की संभावना दिख रही है. वहीं युवा मतदाता भी इस बार की चुनावी महापर्व में निर्णायक वोटर हो सकते हैं. ग्रामीण चौपाल में क्षेत्रीय व बाहरी उम्मीदवारों पर चर्चा एक मुद्दा बना हुआ है. जिस पर प्रत्याशी व कार्यकर्ता भी दिलचस्पी दिखाते हुए मतदाताओं के सवालों पर जवाब देते हुए उन्हें अपने पक्ष में रिझा रहे हैं. पार्टी उम्मीदवार अपनी पार्टी मुद्दों को सामने रखते हुए क्षेत्रीय मुद्दों को भी मतदाताओं के बीच परोस रहे हैं.

क्षेत्र में उम्मीदवारों की गाड़ियां तो दौड़ रही हैं, लेकिन उम्मीदवारों द्वारा पोस्टर बैनर नहीं लगे हैं. जिसे चुनावी चर्चा बाजार गरम होते हुए भी इस महापर्व में लोगों को शांति महसूस हो रही है. अब विभिन्न जगहों पर पार्टी की चुनावी कार्यालय दुल्हन की तरह सजने लगी है. जहां कार्यकर्ताओं की महफिल जमने लगी है. खासकर महिला वर्ग व विद्यार्थी वर्ग कनफोड़वा लाउडस्पीकर से खुद को शांति महसूस कर रहे है. महिलाओं का मानना है कि हो-हल्ला से कुछ नहीं होने वाला है. पूर्ण आकलन के बाद ही हम चुनेंगे कि हमारा सांसद कैसा होगा. कुछ महिलाओं की माने तो उम्मीदवार चुनाव के समय उनके पास वोट के लिए अवश्य पहुंचे है. लेकिन जीत के बाद महिला वर्ग उनके नजरों से दूर-दूर तक नहीं दिखते हैं. महिलाओं से मिलना उनके कार्य में जीत के बाद नहीं होता है. बल्कि कभी-कभी गांव में आते भी है तो कुछ गिने-चुने पुरुष वर्ग से मिल कर चलते बनते हैं.

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