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जेल से फोन पर निखिल ने प्रेमिका को मनाया, एक नेता ने जेल में मिलवाया, फिर सब ठीक हुआ

सलाखों के पीछे बैठकर भी निखिल ने बाहर आने का रास्ता तलाश लिया विजय सिंह पटना : निखिल प्रियदर्शी बड़ा खिलाड़ी निकला. बिगड़ी बात बना ली. सलाखों के पीछे बैठकर भी उसने बाहर आने का रास्ता तलाश लिया. हालांकि, अदालत ने उसे अभी जमानत नहीं दी है. लेकिन, जिस तरह से उसने गुस्से से भरी […]

सलाखों के पीछे बैठकर भी निखिल ने बाहर आने का रास्ता तलाश लिया
विजय सिंह
पटना : निखिल प्रियदर्शी बड़ा खिलाड़ी निकला. बिगड़ी बात बना ली. सलाखों के पीछे बैठकर भी उसने बाहर आने का रास्ता तलाश लिया. हालांकि, अदालत ने उसे अभी जमानत नहीं दी है. लेकिन, जिस तरह से उसने गुस्से से भरी अपनी प्रेमिका को शादी की बात पर तैयार कर अदालत में समझौता पत्र दाखिल करा दिया है, उससे उसकी बात बनती नजर आ रही है.
अगर अदालत का फैसला हक में आया, तो दोनों शादी कर लेंगे. इसके लिए मैरिज कोर्ट में भी आवेदन पड़ चुका है. लेकिन, जिस बिना पर दोनों के फिर से करीब आने की भूमिका तैयार हुई वह है मोबाइल फोन से बातचीत. जी हां! जान कर हैरानी भले हो, पर सूत्रों की मानें तो निखिल ने जेल प्रशासन के छोटे कारिंदों से सांठ-गांठ कर मोबाइल फोन हासिल किया और नंबर बदल-बदल कर प्रेमिका सुरभि से बात करनी शुरू कर दी.
जेल से घंटों बात करता था निखिल : निखिल जेल से घंटों मोबाइल फोन से अपनी प्रेमिका से बात करता था. बातचीत का ही असर हुआ कि उसकी प्रेमिका ने गुस्सा थूक दिया. राजनीतिक गलियारों में, ब्यूरोक्रेटस में गहरी पैठ का दंभ भरने वाला रिटायर्ड आइएएस पुत्र निखिल ने जेल प्रशासन को इस तरह से सेट किया कि आगे के रास्ते खुलते गये.
निखिल सारे नियम-कानून को तोड़कर जेल से बात करता रहा. जिस प्रेमिका ने धोखा, एक साल से यौन शोषण करने और शादी की बात पर जाति सूचक शब्दों से अपमानित करने का आरोप लगाया था, वह अब समझौते को राजी हो गयी. उसने अदालत में आवेदन देकर इस हाइप्रोफाइल मामले के सुलझ जाने की बैकग्राउंड तैयार कर दी. मामला थोड़ा समझौते की तरफ बढ़ा तो निखिल के पिता और भाई को जमानत मिल गयी. हालांकि, इसके पीछे शादी करने की शर्त तय हुई है. फिर भी आगे क्या होगा, यह देखना दिलचस्प है.
समझौता पत्र ने विवाद को विराम दे दिया
दाेनों की मध्यस्थता में एक नेता का भी रोल है. सूत्रों की मानें तो वह नेता निखिल के कहने पर सुरभि को जेल लेकर गया था. वहां दोनों ने मुलाकात की. फिर धीरे-धीरे सबकुछ ठीक हो गया. निखिल की पेशी के दौरान सुरभि उससे मिलने कोर्ट जाने लगी. फिर एक दिन कोर्ट में समझौता पत्र दाखिल कर इस विवाद को विराम दे दिया गया.
कब क्या हुआ
22 दिसंबर, 2016 को एससीएसटी थाने में कांड संख्या 26/16 केस दर्ज हुआ.
7 जनवरी, 2017 को पीड़िता का कोर्ट में
बयान दर्ज हुआ.
जनवरी में कांड संख्या 81/17 के तहत
बुद्धा काॅलोनी थाने में भी पीड़िता ने दर्जकराया था केस.
अप्रैल के अंतिम सप्ताह में निखिल और उसके पिता को उत्तराखंड से गिरफ्तार किया गया था.
7 जून, 2017 को हाइकोर्ट ने निखिल के पिता और भाई को जमानत दे दी.
शादी के समझौता पत्र पर कोर्ट ने की आंशिक सुनवाई
पटना : निखिल प्रियदर्शी द्वारा जेल से भेज गये शादी के लिए आवेदन पर गुरुवार को आंशिक सुनवाई हुई. विशेष अदालत ने कहा कि यदि बचाव पक्ष ऐसी कोई नजीर पेश करे, जिसमें जेल में बंद कैदी को शादी के लिए अनुमति देने का प्रावधान हो तो कोर्ट विचार कर सकता है. जबकि परीक्षा में शामिल होने के लिए, श्राद्धकर्म में शामिल होने के लिए न्यायालय अनुमति देता रहा है, लेकिन ऐसी कोई नजीर शादी करने की अनुमति के लिए कोर्ट की नजर में नहीं है.

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