पटना. भाजपा वित्त रहित और नियोजित शिक्षकों की लड़ाई सदन में और सदन के बाहर लड़ेगी. यदि सूबे की जनता भाजपा को बिहार की सत्ता सौंपेगी,तो सरकार के स्तर पर उनकी समस्याओं का निराकरण होगा.
शुक्रवार को भाजपा विधान मंडल दल के नेता सुशील मोदी ने स्नातक व शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों के भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में आयोजित पटना और सारण की सभाओं में कही. उन्होंने दोनों निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं से भाजपा प्रत्याशियों को विजयी बनाने की अपील की. उन्होंने कहा कि शिक्षक बनने की योग्यता स्नातक रखी गयी है, लेकिन उन्हें मैट्रिक पास चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों से भी कम वेतन मिल रहा है. उन्हें नियोजित शिक्षकों का वेतनमान मिलना चाहिए.
नियोजित शिक्षकों के लिए पेंशन योजना लागू करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन आज तक इसे लागू नहीं किया गया. यही नहीं सेवा की शर्तो का निर्धारण भी नहीं किया गया है. शिक्षकों के स्थानांतरण की नीति भी बनाने की जरूरत है.
भाजपा जब सरकार में थी, तभी वित्त रहित शिक्षा नीति समाप्त करने का निर्णय लिया गया था. इसके तहत वित्त रहित शिक्षण संस्थानों यथा डिग्री कॉलेज, 507 इंटर कॉलेज और 750 माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों की उत्तीर्णता व उत्तीर्ण छात्रों की श्रेणी के आधार पर अनुदान राशि देना तय हुआ था. वर्ष 2008-09 में अनुदान राशि दी गयी, लेकिन बाद में 2013-14 तक यानी चार वर्षो में किसी भी वित्त रहित शिक्षण संस्थानों को अनुदान का एक पैसा नहीं दिया गया. इस नाम पर जांच के नाम पर सरकार तरह-तरह का अडंगा डाल रही है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार शिक्षकों की समस्याओं के प्रति उदासीन है.