बैकुंठपुर. थाने के सिंहासनी निवासी प्रदीप पुरी ने बताया समाज से बहिष्कृत कर दिये जाने की वजह से माओवादियों की शरण मुङो लेनी पड़ी. अब तो सामाजिक अत्याचार मिटाने की कसम खा ली है. माओवादी का सक्रिय सदस्य बनना मेरा सपना समाज के गुंडों ने बनाया. ये बातें प्रदीप पुरी ने थानाध्यक्ष अभिनंदन मंडल, सब इंस्पेक्टर मुकेश कुमार व अशोक कुमार के समक्ष कहीं. सिंहासनी गांव का उद्धार मेरा सपना था. लोगों ने मेरा विरोध किया. सिंहासनी में स्कूल खुला, शिक्षा की उम्मीद जगी. उसमें भी राजनीति की गयी. मंदिर पर हर अवैध कार्य शुरू किया गया. विरोध किया तो मुङो समाज से निकाल दिया गया. बताया कि घटना के दिन अपनी बहन के यहां चला गया था. क्योंकि अपना मुखबीर भेज कर बाजार का मुआयना करवाया व माओवादी फौज के आदेश से अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए घर छोड़ा था. घटना के पीछे अन्य किसी का दोष न था. न्याय के लिए कमेटी ने यह कदम उठाया. पार्टी की कार्रवाई गुप्त रखी जाती है. मुङो घटना के दिन किसी भी कार्यक्रम का पता नहीं था. सुरक्षा के ख्याल से एक सितंबर से ही अपना मोबाइल बंद रखा था. बताया गया कि अभी कमेटी में टेस्ट के रूप में मुङो रखा गया है. किसी भी तरह की गुप्त सूचना से अभी मुङो दूर रखा गया है. यह सारी बातें प्रदीप पुरी ने गिरफ्तारी के बाद बतायी.
प्रदीप ने खोले कई राज
थाने के मीरा टोला में माओवादी हमले के दौरान हुए नंद किशोर यादव व मोहन राय की हत्या का सूत्रधार माना जाने वाला प्रदीप पूरी को पुलिस नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद क्षेत्र में पांच सितंबर की रात में मची दहशत की बात हर जुबान पर आ गयी, जब गोलीबारी, बमबारी व धुआं से बाजार तक ढक गया था. पुलिस द्वारा बीती रात गिरफ्तार होने के बाद प्रदीप पुरी ने मीरा टोला घटना का राज खोला. उसने कहा कि समाज की भलाई के लिए किसी न किसी को सामने आना ही पड़ेगा. थानाध्यक्ष अभिनंदन मंडल ने बताया कि प्रदीप पुरी के पास से मोबाइल, 43170 रुपये तथा एक डायरी बरामद हुई है. मीरा टोला घटना को अंजाम देना प्रदीप पुरी ने खुद का फैसला बताया. बहुत कुछ देखने के बाद सुभाष चंद्र बोस व भगत सिंह की तरह समाज को अपराध से मुक्त कराने की बात सोची. घटना के पीछे शत-प्रतिशत माओवादी हमला होने की बात बतायी. भाकपा उतर पश्चिम जोनल कमेटी के 18 सदस्यीय छापेमार दस्ते द्वारा घटना को अंजाम दिया गया. अपने को असुरक्षित तथा गंदे समाज से परेशान होकर वह माओवादियों को खोजते हुए दियारा गया. इसके पीछे धर्म की रक्षा व अपनी सुरक्षा उद्देश्य था. पानापुर थाने के मडवा बसहियां निवासी सेवक दा से जा मिला, जुल्म का प्रतिकार करने का आश्वासन मिला. वहीं, जोनल सचिव सह प्रवक्ता प्रहार से मिला. मेरी बातों की अपनी कमेटी में प्राथमिकी दर्ज कर लंबी तहकीकात के तीन माह बाद माओवादी हमला द्वारा दो लोग को मारा गया. मुङो मुसलमान कह कर समाज से अलग किया गया. तब सनातन धर्म के मूल की रक्षा के लिए, मानवता के कल्याण के लिए गरीबों पर आये दिन हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए माओवादियों से संपर्क साधा.