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कभी इस दिग्‍गज टेनिस खिलाड़ी के सितारे थे गर्दिश पर

नयी दिल्ली : हर किसी के जीवन में ऐसा दिन आता है जब उसके सितारे गर्दिश पर हाते हैं. वैसे समय में लोग घबरा जाते हैं और कुछ गलत कदम उठा लेते हैं. खिलाडियों के साथ भी कई बार ऐसा दिन आता है जब वह कितना भी कोशिश कर ले लेकिन उसे सफलता नहीं मिलती […]

नयी दिल्ली : हर किसी के जीवन में ऐसा दिन आता है जब उसके सितारे गर्दिश पर हाते हैं. वैसे समय में लोग घबरा जाते हैं और कुछ गलत कदम उठा लेते हैं. खिलाडियों के साथ भी कई बार ऐसा दिन आता है जब वह कितना भी कोशिश कर ले लेकिन उसे सफलता नहीं मिलती है. इस परिस्थिति से सफलता पूर्वक बाहर निकला अपने आप में बड़ी बात होती है.

विश्व टेनिसकेनंबर एक खिलाड़ी जुआन कार्लोस फरेरो के जीवन में भी कुछ ऐसा ही क्षण आया था जब उनके सितारे गर्दिश पर थे. फरेरो के लाइफ में ऐसा हुआ की उन्‍हें नंबर एक की गद्दी छोड़नी पड़ी और लगभग 100 टुर्नामेंट में जीत भी नसिब नहीं हो पायी. वैसे समय में वह खिलाड़ी घबराया नहीं बल्कि सफलता को लेकर नयी संकल्‍प ली.

कार्लोस फरेरो ने 2003 से 2009 तक कोई भी टूर्नामेंट नहीं जीता, पूर्व नंबर एक खिलाड़ी ने कहा, मैंने अभ्यास जारी रखा. महत्वपूर्ण यही है कि आप हार नहीं मानो.चैंपियन्स टेनिस लीग (सीटीएल) में भाग लेने के लिये यहां आये 34 वर्षीय फरेरो के करियर का सबसे महत्वपूर्ण दौरान 2003 में आया था जब उन्होंने फ्रेंच ओपन का खिताब जीता. उन्होंने तब सेमीफाइनल में अपने आदर्श और अमेरिका के दिग्गज खिलाडी आंद्रे अगासी को हराया था और नंबर एक बने थे. लेकिन इसके तुरंत बाद चोटों और खराब फार्म के कारण वह पिछडने लगे.
फरेरो ने कहा, वह मुश्किल दौर था. मैंने टूर्नामेंट जीतने शुरु कर दिये थे लेकिन तभी कुछ चोटों ने मुझे परेशान किया. मेरा पहले जैसा आत्मविश्वास नहीं रहा. खुद का मनोबल बनाये रखने के लिये उन्होंने क्या किया, इस पर फरेरो ने कहा, आप हर साल टूर्नामेंट खेलते हो. लोग बहुत जल्दी हार मान जाते हैं. एक पेशेवर के लिये यह महत्वपूर्ण है कि वह अभ्यास जारी रखे. इससे मुझे फिर से आत्मविश्वास मिला. आखिर फरेरो की प्रतिबद्धता काम आयी और वह 2009 में कासाबलांका में खिताब जीतने में सफल रहे. इसके बाद उन्‍होंने क्ले पर चार और टूर्नामेंट जीते लेकिन वह एक अन्य ग्रैंडस्लैम नहीं जीत पाये लेकिन उन्होंने जिंदगी में जो कुछ हासिल किया उससे वह संतुष्ट हैं.
फरेरो ने कहा, यदि मैं दो खिताब जीतता तो फिर सवाल पैदा होता कि मैंने तीन नहीं जीते. इसलिए मैंने जो कुछ किया उससे मैं खुश हूं. निश्चित तौर पर मैं और टूर्नामेंट जीतना चाहता था लेकिन मैं ऐसा नहीं कर पाया. उन्होंने कहा, जब मैं बच्चा था तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं वह हासिल कर पाउंगा जो मैंने हासिल किया. मेरे करियर में कुछ महत्वपूर्ण क्षण आये. मैंने डेविस कप (स्पेन के लिये पहला) जीता और फिर ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट जीतने में सफल रहा. किसी भी टेनिस खिलाड़ी के लिये ग्रैंडस्लैम जीतना बड़ी उपलब्धि होती है. इसके बाद मैं नंबर एक बना. मैं अपने पूरे करियर से बहुत खुश हूं.

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