नयी दिल्ली : सीनियर आफ स्पिनर हरभजन सिंह का मानना है कि टेस्ट कप्तान विराट कोहली और मुख्य कोच अनिल कुंबले के पास उस नये युग में आगे बढ़ने का मौका है जहां भारतीय क्रिकेट टीम को जीत के लिए पूरी तरह से स्पिन की अनुकूल पिच की जरुरत नहीं है क्योंकि लंबे समय से चली आ रही इस रणनीति का टीम को नुकसान होना शुरु हो गया है.
भारत जब 13 टेस्ट मैचों के अपने लंबे घरेलू दौरे की शुरुआत न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की श्रृंखला से करने की तैयारी कर रहा है तब हरभजन का मानना है कि इस तरह की पिचें घरेलू टीम के लिए भी नुकसानदेह हो सकती हैं.
हरभजन ने कहा, ‘‘पिछले चार से पांच साल में पिछले टीम प्रबंधन ने ऐसी पिचों को प्राथमिकता दी जहां टेस्ट मैच तीन दिन के भीतर खत्म हो जाये. लेकिन मेरा मानना है कि अनिल भाई और विराट दोनों सकारात्मक लोग हैं जो अच्छी टेस्ट पिचों पर खेलना पसंद करेंगे जहां नतीजे चौथी शाम या पांचवें दिन लंच के बाद आये.
हरभजन ने कहा, ‘‘हमें इसकी बडी तस्वीर की ओर देखना चाहिए. क्या ढाई या तीन दिन के भीतर जीतने से हमें कुछ हासिल हो रहा है. क्या हम अपने बल्लेबाजों के प्रति ठीक थे जिन्हें पिछली घरेलू श्रृंखला के दौरान दक्षिण अफ्रीकी स्पिनरों के खिलाफ जूझना पड़ा था.” भारत के तीसरे सबसे सफल गेंदबाज हरभजन ने कहा, ‘‘हम इसे टेस्ट क्रिकेट क्यों कहते हैं. क्योंकि यह पहले दिन से लेकर पांचवें दिन तक प्रत्येक स्तर पर आपके कौशल की परीक्षा लेता है. इससे प्रत्येक को इस स्तर पर सफल होने का उचित मौका मिलना चाहिए.”
उन्होंने कहा, ‘‘कोटला में अंतिम टेस्ट को छोड़ दिया जाए, जहां अजिंक्य रहाणे ने शानदार बल्लेबाजी की और विराट ने भी रन बनाए, तो हमारे बल्लेबाजों को परेशानी का सामना करना पडा। मैं आपको बता सकता हूं कि अगर हम पूरी तरह से स्पिन की अनुकूल पिचों के साथ जुडे रहे तो इसका खामियाजा हमें भी उठाना पड सकता है जैसा नागपुर में विश्व टी20 के दौरान हुआ. मिश सेंटनर और ईश सोढी प्रभावी साबित हो सकते हैं.” हरभजन ने कहा कि पूरी तरह से स्पिन की अनुकूल पिच से भारतीय स्पिनरों को भी कोई फायदा नहीं होने वाला.
उन्होंने कहा, ‘‘ठीक है आपको विकेट मिलेंगे लेकिन ऐसा समय भी होगा जब गेंदबाज को नहीं पता होगा कि गेंद कहां गिरेगी और किस दिशा में जाएगी. आपको नहीं पता होगा कि कौन सी गेंद उछाल लेगी और कौन सी टर्न होगी.”