नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसके जरिये भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) को जन्म प्रमाण पत्र या आयु के सबूत के तौर पर पेश दस्तावेजों के जरिये खिलाड़ियों की आयु निर्धारित करने को कहा गया था और हड्डी परीक्षण नहीं करने कहा था.
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने एकल न्यायाधीश के 29 दिसंबर 2013 के आदेश पर रोक लगा दी जिसमें बीसीसीआई को यश सहरावत और आर्यन सहरावत द्वारा जमा दस्तावेजों की वास्तविकता को प्रमाणित करने को कहा गया था. बीसीसीआई ने अधिक आयु का हवाला देकर इन तीनों को अंडर 16 क्रिकेट टूर्नामेंट में हिस्सा लेने की स्वीकृति नहीं दी थी.
बीसीसीआई ने इसके खिलाफ अपील की थी कि एकल न्यायाधीश ने टेनर वाइटहाउस 3 (टीडब्ल्यू3)प्रणाली को खारिज करके गलती की है. टीडब्ल्यू 3 प्रणाली में हड्डी के परीक्षण के जरिये उम्र तय की जाती है और बोर्ड अपने टूर्नामेंट में खिलाड़ियों की आयु तय करने के लिए इस प्रणाली का इस्तेमाल करता है.