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1993 में रांची आये थे सचिन, कई दिग्गज क्रिकेटर भी थे साथ में

रांची: 27 अप्रैल 1993. मंगलवार का वह दिन रांचीवासियों के जेहन में आज भी ताजा है. अपने 24 साल के बेमिसाल करियर में वही एकमात्र मौका था, जब सचिन रांची आये थे. मौका था डबल विकेट क्रिकेट टूर्नामेंट का. तब मोरहाबादी के बिरसा मुंडा स्टेडियम में लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर, कपिल देव, मनोज प्रभाकर, मोहम्मद […]

रांची: 27 अप्रैल 1993. मंगलवार का वह दिन रांचीवासियों के जेहन में आज भी ताजा है. अपने 24 साल के बेमिसाल करियर में वही एकमात्र मौका था, जब सचिन रांची आये थे. मौका था डबल विकेट क्रिकेट टूर्नामेंट का. तब मोरहाबादी के बिरसा मुंडा स्टेडियम में लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर, कपिल देव, मनोज प्रभाकर, मोहम्मद अजहरुद्दीन, नवजोत सिंह सिद्धू, अनिल कुंबले, विनोद कांबली, वेंकटपति राजू, जवगल श्रीनाथ जैसे दिग्गज क्रिकेटर भी यह टूर्नामेंट खेलने रांची आये थे.

तब रांची में काफी कम क्रिकेट होते थे और यहां क्रिकेट का ज्यादा क्रेज नहीं था. लेकिन एक साथ इतने सारे क्रिकेट सितारों को देखने के लिए रांचीवासियों में एक अलग तरह का उत्साह था. मैच के दौरान भीड़ कम हो, इसके लिए आयोजकों ने टिकट भी तय कर किये थे. इसके बावजूद भीड़ कम नहीं हुई और लोग अपने चहेते क्रिकेट सितारों को देखने के लिए स्टेडियम पहुंचे. इस टूर्नामेंट के फाइनल में सचिन और कांबली की जोड़ी भी पहुंची थी, पर वे हार गये थे.

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उपहार में अपना बल्ला भेंट कर दिया
इस टूर्नामेंट में रांची जिला क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों को क्षेत्ररक्षण करने का मौका मिला. तब रांची के संजय मिश्र आरएंडडी सेल की ओर से खेलते थे. पूरे टूर्नामेंट में सचिन तेंडुलकर ने संजय मिश्र के बल्ले से बल्लेबाजी की. इस टूर्नामेंट में संजय मिश्र ने जबरदस्त फील्डिंग की व तीन शानदार कैच लपके और एक रनआउट भी किया. संजय मिश्र की फील्डिंग से सचिन इतने प्रभावित हुए कि उन्हें ड्रेसिंग रूम में बुलवाया और अपना ऑटोग्राफ वाला बल्ला उनको उपहार स्वरूप दे दिया. ड्रेसिंग रूम में सुनील गावस्कर भी मौजूद थे. उन्होंने संजय को इशारा कर सचिन के बैटिंग ग्लव्स और कैप भी मांगने को कहा. सचिन उनके इशारे को समझ गये और सिर्फ मुस्करा कर रह गये. संजय ने बताया कि टूर्नामेंट खत्म होने के बाद सचिन के बल्ले को देखने कई लोग उनके घर भी आये. बाद में वह बल्ला संजय के बड़े भाई उदय मिश्र अपने साथ मेलबर्न ले गये. अब वह बल्ला संजय के भतीजे कनिष्क अपने पास सहेज कर रखे हुए हैं.

यह ऐतिहासिक पल है : अमिताभ चौधरी
मुंबई में सचिन के विदाई टेस्ट के मैच पर्यवेक्षक अमिताभ चौधरी ने कहा कि यह न सिर्फ भारत के लिए , बल्कि क्रिकेट और पूरे विश्व के खेल जगत के लिए ऐतिहासिक पल है. जेएससीए के अध्यक्ष अमिताभ चौधरी ने कहा, ‘इतने बड़े मैच का हिस्सा बनना उनके और जेएससीए के लिए गर्व की बात है. वे अपनी रिपोर्ट बीसीसीआइ को देंगे. यह भावनाओं का पल है. यहां हर किसी के लिए अपनी भावनाओं पर काबू रखना कठिन हो रहा है. चाहे वह सचिन हों, उनके परिवार के सदस्य, टीम इंडिया के साथी खिलाड़ी या फिर वानखेड़े स्टेडियम में मौजूद हजारों की संख्या में दर्शक .’ पूर्व में टीम इंडिया के मैनेजर की भूमिका निभा चुके अमिताभ चौधरी ने कहा, ‘सचिन न सिर्फ एक बड़े खिलाड़ी हैं, बल्कि खेल के सच्चे दूत भी हैं. उनसे नयी पीढ़ी को काफी कुछ सीखने का मौका मिला है. सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंच कर भी आदमी अपने को किस तरह धरातल से जोड़े रखता है, इसका बेजोड़ उदाहरण हैं सचिन.’


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