नयी दिल्ली : क्रिकेट को अलविदा कह चुके वीरेंद्र सहवाग ने आज पूर्व कप्तान सौरव गांगुली, राहुल द्रविड और अनिल कुंबले के साथ चैम्पियन बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर में उनके मार्गदर्शन के लिये धन्यवाद दिया. सहवाग ने हालांकि महेंद्र सिंह धोनी का नाम नहीं लिया जिसकी कप्तानी में उन्होंने करीब छह साल तक भारत के लिये खेला. बीसीसीआई ने आज भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच चौथे और आखिरी टेस्ट की शुरुआत से पहले सहवाग को सम्मानित किया. बोर्ड सचिव अनुराग ठाकुर ने उनकी उपलब्धियों के लिये उन्हें चमचमाती ट्राफी भेंट की. सहवाग के साथ उनकी मां कृष्णा सहवाग, पत्नी आरती और बेटे आर्यवीर तथा वेदांत मौजूद थे. सहवाग ने अपने विदाई भाषण में बीसीसीआई, डीडीसीए, अपने पहले कोच ए एन शर्मा और दिल्ली अंडर 19 टीम में उन्हें चुनने वाले सतीश शर्मा को धन्यवाद दिया.
उन्होंने कहा, ‘मैं अपने पिता को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मुझे क्रिकेट खेलने की अनुमति दी. मैं अपने सारे कोचों खासकर ए एन शर्मा को धन्यवाद दूंगा जिन्होंने मुझे ऐसा क्रिकेटर बनाया.’ सहवाग ने अपने करीबी दोस्तों को भी धन्यवाद दिया जिसमें दिल्ली के अंडर 19 कोच राजू शर्मा शामिल हैं. कप्तानों के बारे में उन्होंने कहा, ‘मैं अपने पहले कप्तान अजय जडेजा और बाकी कप्तानों सौरव गांगुली, राहुल द्रविड और अनिल कुंबले को भी धन्यवाद देता हूं. मैं सचिन तेंदुलकर को भी धन्यवाद देना चाहता हूं.’ उन्होंने धोनी का नाम नहीं लिया. उन्होंने अपने 14 साल के कैरियर में फिजियो और ट्रेनर के योगदान का भी जिक्र किया. आखिरी में उन्होंने क्रिकेटप्रेमियों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं अपने सारे प्रशंसकों को धन्यवाद देना चाहता हूं जो अच्छे बुरे दौर में मेरे साथ रहे.’ डीडीसीए ने अभी तक किसी स्टैंड या दीर्घा का उनके नाम पर नामकरण नहीं किया है लेकिन बीसीसीआई ने अंबेडकर स्टेडियम छोर की आखिरी दीर्घा को सहवाग के सर्वोच्च टेस्ट स्कोर के नाम पर ‘वीरु 319′ का अस्थायी नाम दिया.
पहला टेस्ट शतक यादगार : सहवाग
हाल ही में क्रिकेट को अलविदा कहने वाले वीरेंद्र सहवाग ने अपने पहले टेस्ट शतक को सबसे यादगार पल बताया लेकिन कहा कि अपने शानदार कैरियर में दो बार तिहरा शतक जडने के बावजूद 400 रन तक नहीं पहुंच पाने का उन्हें मलाल है. सहवाग ने कहा, ‘मेरा सबसे यादगार पल मेरा पहला टेस्ट शतक है क्योंकि जब मैने खेलना शुरू किया तब सभी कहते थे कि सहवाग वनडे क्रिकेट का बल्लेबाज है लेकिन मैने सोचा कि यदि मैने चार दिन के रणजी मैचों में इतने रन बनाये हैं तो मुझे टेस्ट खेलने का मौका भी मिलना चाहिये.’ उन्होंने यहां बीसीसीआई द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में कहा, ‘जब मुझे मौका मिला तो मैं काफी रोमांचित था. यही वजह है कि मैने जब टेस्ट क्रिकेट में पहला शतक जमाया तो वह मेरे लिये सबसे यादगार पल बन गया.’ यह पूछने पर कि वह कैरियर में और क्या हासिल कर सकते थे,
सहवाग ने कहा, ‘शायद मैं 400 रन बनाकर ब्रायन लारा का रिकार्ड तोड सकता था.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मैं 400 रन बना सकता था लेकिन मैं 319 रन बनाकर आउट हो गया.’ सहवाग ने कहा कि उन्होंने अपनी शैली कभी नहीं बदली, टेस्ट क्रिकेट में भी नहीं. उन्होंने कहा, ‘मैं मैच से पहले काफी तैयारी करता था. मैं गेंदबाजों को पढने की कोशिश करता. उनकी इनस्विंगर और आउटस्विंगर देखकर तैयारी करता. इसके बाद मैदान पर आता तो सीधे उनकी गेंदों की पिटाई शुरू कर देता. मैने अपनी शैली कभी नहीं बदली और पूरे कैरियर में ऐसा ही खेलता रहा.’ सहवाग ने बताया कि यदि उनके बेटों में से कोई किसी भी स्तर पर उनका 319 रन का रिकार्ड तोडता है तो वह उसे पुरानी फेरारी तोहफे में देंगे. उन्होंने कहा, ‘यदि मेरे बेटों में से कोई मेरा रिकार्ड तोडता है तो उसे पुरानी फेरारी दूंगा. किसी भी स्तर पर दोनों में से कोई भी तोडेगा तो उसे यह तोहफा मिलेगा.’