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भारत में पहली बार देखने को मिलेगा ‘कैनोपी शैली” का पिच कवर

बेंगलुरु : भारतीय क्रिकेट स्टेडियमों की ड्रेनेज प्रणाली को लेकर अधिकतर आलोचना होती है जिसमें ईडन गार्डन्स सबसे अधिक निशाने पर रहता है लेकिन कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ ने ‘कैनोपी शैली’ का पिच कवर तैयार कराया है जिससे यहां चिन्नास्वामी स्टेडियम की विकेट पिछले दो दिन से हो रही बारिश से बची हुई थी. भारत […]

बेंगलुरु : भारतीय क्रिकेट स्टेडियमों की ड्रेनेज प्रणाली को लेकर अधिकतर आलोचना होती है जिसमें ईडन गार्डन्स सबसे अधिक निशाने पर रहता है लेकिन कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ ने ‘कैनोपी शैली’ का पिच कवर तैयार कराया है जिससे यहां चिन्नास्वामी स्टेडियम की विकेट पिछले दो दिन से हो रही बारिश से बची हुई थी.

भारत में आम तौर पर तीन परत का कवर लगाया जाता है जिसमें पहला स्तर मोटे कपडे का होता है जबकि उसके उपर मोटा पालीथीन लगाया जाता है जिससे कि उसे भीगने से बचाया जा सके. लेकिन पिच को गीला होने से बचाने के लिए भारत में पहली बार चिन्नास्वामी स्टेडियम में अलग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.
पिच के दोनों तरफ 12 पोल (प्रत्येक तरफ छह पोल) लगाए गए हैं और कैनोपी या हटाई जा सकने वाली छत जैसा घर बनाने के लिए मोटी फाबर शीट लगाई गई हैं जिससे कि पिच को बारिश से बचाया जा सके.पूछने पर केएससीए अधिकारियों ने कहा कि पूर्व भारतीय बल्लेबाज और केएससीए सचिव बृजेश पटेल ने इस तरह का पिच कवर तैयार कराया है. सामान्यत: जब पारंपरिक पिच कवर का इस्तेमाल किया जाता है तो पानी के नीचे जाने की आशंका बनी रहती है.
हालांकि पिछले दो से तीन दिनों से काफी कम धूप निकली है और ऐसे में भारतीय टीम को संभवत: अपनी पसंद की पिच नहीं मिले. पूरी तरह से स्पिन की अनुकूल पिच बनाने के लिए मैदानकर्मियों के पिच पर पानी डालना बंद करने के बाद कम से कम तीन से चार दिन तक तेज धूप की जरुरत होती है. धूप से पिच सूख जाती है और इस पर दरार नजर आने लगती है.
टीम निदेशक रवि शास्त्री ने गेंदबाजी कोच भरत अरुण के साथ पिच को देखा. दोनों को बाद में मैदानकर्मियों से बात करते और कुछ सवाल पूछते देखा गया. अरुण ने इसके बाद दोबारा काफी देर तक पिच को देखा और टीम के शीर्ष स्पिनर रविचंद्रन अश्विन से बात भी की.

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