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चैपल की चेतावनी, आज के क्रिकेट से गेंदबाजों पर खतरा

नयी दिल्ली : पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल का मानना है कि भारी बल्लों के उपयोग का चलन और सीमित ओवरों में सीमा रेखा छोटी होने के कारण यह खेल फिर से बल्लेबाजों के अनुकूल बन गया है और गेंदबाज विलुप्त प्रजाति बन सकते हैं. चैपल ने कहा कि चौके और छक्के मनोरंजन के लिये […]

नयी दिल्ली : पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल का मानना है कि भारी बल्लों के उपयोग का चलन और सीमित ओवरों में सीमा रेखा छोटी होने के कारण यह खेल फिर से बल्लेबाजों के अनुकूल बन गया है और गेंदबाज विलुप्त प्रजाति बन सकते हैं.

चैपल ने कहा कि चौके और छक्के मनोरंजन के लिये अधिक डालर ला सकते हैं लेकिन यह खेल के लिये अच्छा नहीं है क्योंकि गेंदबाज अपनी हदों को पार कर सकते हैं तथा बाडीलाइन और चकिंग जैसे तरीके अपना सकते हैं.

चैपल ने ईएसपीएनक्रिकइन्फो में अपने कालम में लिखा है, यदि भारी और बेहतर बल्ले तथा छोटी बाउंड्रीज का चलन जारी रहा तो हो सकता है कि छोटे प्रारुपों में गेंदबाज विलुप्त प्रजाति बन जाए. इस चलन के कारण चौकों और विशेषकर छक्कों की तादाद में वृद्धि हो रही है. इसे भले ही डालर के लिये खेले जा रहे मैच के अनुकूल माना जा सकता है लेकिन इसके लंबी अवधि के परिणाम अच्छे नहीं होंगे.

उन्होंने कहा, गेंदबाजों को छोटे प्रारुपों में सहारे की जरुरत है और अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे विद्रोह पर उतर जाएंगे जैसे कि पहले भी हो चुका है. वे बाडीलाइन और चकिंग जैसे तरीके अपना सकते हैं. यदि यही चलन रहा तो आज नहीं तो कल गेंदबाज जंग का ऐलान कर देंगे. चैपल ने कहा कि भारत और आस्ट्रेलिया के बीच जयपुर में खेले गये दूसरे वनडे जैसे मैचों के कारण बल्लेबाजी की कला पर ताकत हावी हो रही है. इस मैच में भारत ने वनडे में दूसरा सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल किया था.

उन्होंने कहा, भारत और आस्ट्रेलिया के बीच दूसरे वनडे में 64 प्रतिशत रन चौके या छक्कों से बने. एक रन का योग 28 प्रतिशत के लगभग रहा जबकि 43 प्रतिशत गेंदों पर रन नहीं बने. इसका मतलब है कि क्षेत्ररक्षण और विकेटों के बीच दौड़ पर निर्भरता कम हो गयी जो कि खेल के दो आकर्षक कौशल हैं. सीमा रेखा छोटी होने और बल्लों के बेहतर बन जाने से बल्लेबाजी की कला पर ताकत का खेल हावी हो गया है. चैपल ने कहा कि गेंदबाज यदि यह सोचते हैं कि उन्हें बल्लेबाजों को बढ़ावा देने के लिये बलि का बकरा बनाया जा रहा है तो इसके लिये वह दोषी नहीं हैं.

उन्होंने कहा, यदि बल्लेबाजी कौशल केवल पावर हिटिंग तक सीमित रह गया है तो गेंदबाज विकेट लेने के लिये अपनी रणनीतियों पर अधिक विश्वास नहीं करेंगे. यदि लगातार छक्के लगते रहे तो तेज गेंदबाज को ऐसी लेंथ हासिल करने का खास फायदा नहीं मिलेगा जहां से गेंद स्विंग हो सकती हो. स्पिनर भी बल्लेबाजों को झांसा देने के लिये अधिक फ्लाइट नहीं कराएंगे.

चैपल ने कहा, हम देखरहे हैं कि हिटिंग को रोकने के लिये धीमी गति के बाउंसर और बाहर की तरफ यार्कर का उपयोग किया जा रहा है. आखिर में यह होगा कि गेंदबाज खुद जाल बिछाने के बजाय बल्लेबाज को आउट करने के लिये उसी पर अधिक निर्भर हो जाएगा. अब भी प्रशासक गेंदबाजों को मजा चखाने के उनके प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं.

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