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बीसीसीआई अध्‍यक्ष पद को लेकर अब भी गतिरोध जारी

नयी दिल्ली : बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों के बीच पर्दे के पीछे बातचीत और जोड़तोड़ आज भी जारी रहा लेकिन जगमोहन डालमिया के निधन के कारण खाली हुए अध्यक्ष पद के लिये अब भी किसी एक उम्मीद्वार पर सहमति नहीं बन पायी. नागपुर में बुधवार को बीसीसीआई के दो पूर्व अध्यक्ष और एक दूसरे के […]

नयी दिल्ली : बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों के बीच पर्दे के पीछे बातचीत और जोड़तोड़ आज भी जारी रहा लेकिन जगमोहन डालमिया के निधन के कारण खाली हुए अध्यक्ष पद के लिये अब भी किसी एक उम्मीद्वार पर सहमति नहीं बन पायी.

नागपुर में बुधवार को बीसीसीआई के दो पूर्व अध्यक्ष और एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे एन श्रीनिवासन और शरद पवार के बीच हुई बैठक ने उत्तराधिकारी को लेकर चल रही जंग को नया मोड दे दिया. पता चला है कि ये दोनों एक दूसरे का साथ देने के लिये तैयार हैं जबकि बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर का गुट अब भी अध्यक्ष पद के अपने उम्मीद्वार राजीव शुक्ला के लिये समर्थन जुटाने की कोशिश में लगा है.

शीर्ष सूत्रों के अनुसार श्रीनिवासन ने पवार या उनके उम्मीद्वार को समर्थन देने की इच्छा व्यक्त की. इसके बदले में श्रीनिवासन चाहते हैं कि आईसीसी चेयरमैन के रुप में उनका कार्यकाल बिना किसी बाधा के चलते रहे. श्रीनिवासन को आशंका है कि यदि ठाकुर गुट बोर्ड में हावी हो जाता है तो वे उनकी जगह भारत से आईसीसी चेयरमैन के लिये किसी अन्य को नामित कर सकते हैं.

श्रीनिवासन ने कल बेंगलुरु में अपने वफादारों की बैठक बुलायी थी लेकिन पूर्व क्षेत्र के छह में से पांच सदस्य इसमें उपस्थित नहीं हुए. केवल ओडिशा क्रिकेट संघ का प्रतिनिधि बैठक में पहुंचा लेकिन मतदान का अधिकार सचिव आशीर्वाद बेहडा के पास है और उन्होंने इसमें शिरकत नहीं की.

केएससीए के प्रतिनिधि बृजेश पटेल और केरल क्रिकेट संघ के टीसी मैथ्यू वहां मौजूद थे लेकिन पता चला है कि इस बैठक में छह इकाईयों के प्रतिनिधि ही पहुंचे जिसे तमिलनाडु के श्रीनिवासन ने अपने ताकत दिखाने के लिये बुलाया था. बंगाल क्रिकेट संघ ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि दो अक्तूबर को डालमिया की शोक सभा संपन्न होने तक वे किसी तरह की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे.

राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब जो कि जगमोहन डालमिया के पारिवारिक क्लब जैसा है, उसका प्रतिनिधित्व उनके मित्र के पी कजारिया करते हैं और वह भी बैठक में उपस्थित नहीं थे. कजारिया भी इन दिनों स्वस्थ नहीं चल रहे हैं. पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली के कैब अध्यक्ष बनने के बाद समीकरण बदल गये है क्योंकि संकेत मिल रहे हैं कि वे पवार गुट का समर्थन कर सकते हैं.

कैब हालांकि डालमिया के साथ पवार के मनमुटाव के कारण उनका विरोध करता रहा है लेकिन लगता है कि बीसीसीआई की राजनीति में चीजें तेजी से बदल रही हैं. इसी तरह पवार गुट के पास मुंबई क्रिकेट संघ, विदर्भ क्रिकेट संघ (शशांक मनोहर), महाराष्ट्र क्रिकेट संघ (अजय शिर्के) और सौराष्ट्र क्रिकेट संघ (निरंजन शाह) के रुप में चार प्रतिबद्ध वोट हैं लेकिन इनमें से कुछ इकाईयां श्रीनिवासन के साथ अचानक हाथ मिलाने से बहुत खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि उन्होंने स्पाट फिक्सिंग मामले में श्रीनिवासन के विरोध में बीसीसीआई से इस्तीफा दिया था और ऐसे में यदि वे इस विवादास्पद प्रशासक के साथ मिलकर पवार गुट का समर्थन करते हैं तो उनकी किरकिरी होगी.

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