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आईसीसी क्रिकेट समिति ने 30 गज के बाहर पांच फील्डर्स को रखने की सिफारिश की

मुंबई : सीमित ओवरों के प्रारुप में संतुलन काफी हद तक बल्लेबाजों के पक्ष में होने की बात स्वीकार करते हुए आईसीसी की क्रिकेट समिति ने आज बल्लेबाजी पावर प्ले हटाने के अलावा अंतिम 10 ओवर में 30 गज के घेरे के बाहर पांच क्षेत्ररक्षकों को खड़ा होने की स्वीकृति देने की सिफारिश की. पूर्व […]

मुंबई : सीमित ओवरों के प्रारुप में संतुलन काफी हद तक बल्लेबाजों के पक्ष में होने की बात स्वीकार करते हुए आईसीसी की क्रिकेट समिति ने आज बल्लेबाजी पावर प्ले हटाने के अलावा अंतिम 10 ओवर में 30 गज के घेरे के बाहर पांच क्षेत्ररक्षकों को खड़ा होने की स्वीकृति देने की सिफारिश की.

पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले की अगुआई वाली समिति ने वनडे में खेलने के हालात, खिलाडियों के बर्ताव से संबंधित आचार संहिता, अवैध गेंदबाजी एक्शन, तकनीक के इस्तेमाल और हेलमेट सुरक्षा सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा की.

समिति ने वनडे में खेलने के हालात की समीक्षा की और यह महसूस किया कि वनडे पारी के अंत में कई बार ऐसा समय आता है जब ऐसा लगता है कि क्षेत्ररक्षण टीम के कप्तान के पास सीमित रक्षात्मक विकल्प उपलब्ध हैं. समिति ने साथ ही कहा कि खेलने के नियमों को अधिक से अधिक सामान्य रखना चाहिए और बदलाव न्यूनतम होने चाहिए.
क्रिकेट समिति मुख्य कार्यकारी समिति को सिफारिश करेगी कि वनडे क्षेत्ररक्षण नियमों में तीन बदलाव होने चाहिए. पहले 10 ओवर में दो अनिवार्य कैचिंग पोजीशन की जरुरत को हटाया जाना चाहिए. बल्लेबाजी पावर प्ले हटाया जाना चाहिए और 41 से 50 ओवर के बीच 30 गज के घेरे से बाहर चार की जगह पांच क्षेत्ररक्षकों को खड़ा करने की स्वीकृति दी जानी चाहिए.
बल्ले और गेंद के बीच संतुलन रखने के प्रयास के तहत आईसीसी बल्ले के आकार को लेकर नियम नहीं बनाएगा लेकिन वह 2017 में क्रिकेट के नियमों का मसौदा दोबारा तैयार करने से पहले विचार विमर्श की प्रक्रिया के जरिये एमसीसी को इस मुद्दे पर सुझाव देगा. समिति ने अपनी इस पुरानी सिफारिश को दोहराया कि प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय आयोजन स्थल पर बाउंड्री को अधिकतम स्तर पर रखा जाने की जरुरत है.
आईसीसी इसके अलावा गेंद निर्माताओं से भी सलाह मशविरा करेगी कि क्या गेंद का आकार और सफेद गेंद की सीम में बदलाव किया जा सकता है जिससे कि बल्ले और गेंद के बीच संतुलन प्रभावित हो. इसके अलावा नोबाल को लेकर भी चर्चा की गई विशेषकर विकेट गिरने के बाद इसके रिव्यू के कारण होने वाले विलंब पर. समिति ने आईसीसी को तरीका खोजने को कहा जिससे कि विकेट गिरने के तुरंत बाद नोबाल की समीक्षा की जा सके जिससे कि यह सुनिश्चित हो कि बल्लेबाज के मैदान से बाहर जाने में विलंब नहीं हो.
समिति ने साथ ही सिफारिश की कि वनडे और टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सभी तरह की नोबाल पर फ्री हिट दी जाए. समिति ने साथ ही खिलाडियों के अनुचित व्यवहार पर कडा रुख अपनाने का समर्थन किया और वह बल्लेबाज के आउट होने पर गेंदबाज के उसे बाहर का रास्ता दिखाने जैसा जश्न मनाने से चिंतित है. इसके अलावा रैफरियों को जुर्माने की जगह निलंबित करने के लिए प्रेरित किया गया विशेषकर उन खिलाडियों के संदर्भ में जो बार बार गलती दोहराते हैं और जहां शारीरिक संपर्क जैसा अधिक गंभीर मामला हो.
धीमी ओवर गति के लिए कप्तानों को निलंबित करने की प्रक्रिया का समर्थन किया गया. इसके अलावा डीआरएस के प्रदर्शन और अंपायरिंग में तकनीक के इस्तेमाल पर भी चर्चा की गई. साथ ही अवैध गेंदबाजी एक्शन पर डा. क्रेग रेनसन ने पिछले 12 महीने में परीक्षण के नतीजों की रिपोर्ट पेश की.
आईसीसी से मान्यता प्राप्त पांच परीक्षण केंद्रों में 100 से अधिक गेंदबाजों का परीक्षण किया गया जिसका मतलब हुआ कि सदस्य देशों ने घरेलू स्तर पर इस मुद्दे से अधिक प्रभावी तरीके से निपटना शुरु कर दिया है. डा. रेनसन ने हेलमेट सुरक्षा पर भी रिपोर्ट पेश की. क्रिकेट समिति की सिफारिश पर आईसीसी के मुख्य कार्यकारियों की समिति और आईसीसी बोर्ड 22 से 26 जून तक बारबडोस में सर्वोच्च संस्था की बैठक के दौरान चर्चा करेंगे.

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